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Sawan Somvar Vrat Vidhi :- नियम जाने, पूजा विधि,व्रत का महत्व,क्या भोजन करें

Sawan Somvar Vrat Vidhi

Sawan Somvar Vrat Vidhi :->नमस्कार दोस्तों, आप सभी को सावन का महीना शुरू होने की हार्दिक शुभकामनाएं। सावन और भगवान भोलेनाथ का बहुत गहरा नाता है।

Sawan Somvar Vrat Vidhi | Sawan Somvar ke Niyam

सावन का महीना शिव शंकर भगवान को अत्यंत प्रिय है। भगवान विष्णु के सो जाने के बाद सावन मास में भगवान भोलेनाथ ही सृष्टि के संचालन का कार्य देखते हैं। इसलिए देशभर में सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। शिवभक्त सावन मास में आने वाले प्रत्येक सोमवार के दिन उपवास रखते हैं।

पुराणों में बताया गया है कि अन्य दिनों की अपेक्षा सावन में शिव जी की सच्चे मन से पूजा करने पर कई गुना लाभ मिलता है। सावन सोमवार के व्रत शुरू करने से पहले यह तय करें कि आपको कौन सा व्रत करना हो. सोमवार का तीन प्रकार का व्रत होता है. पहला सावन में आने वाले प्रत्येक सोमवार का व्रत , दूसरा सोलह सोमवार का व्रत और तीसरा सौम्य प्रदोष ।किसी भी सोमवार व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है |

जो व्यक्ति सोलह सोमवार का व्रत शुरू करना चाहता है, सोलह सोमवार का व्रत शुरू करने की सोच रहा है तो सावन के पहले सोमवार से ही सोलह सोमवार का व्रत शुरू करना अत्यंत शुभ होता है। मान्यता के अनुसार श्रावण मास के सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत तथा और शिवरात्री का व्रत जो भी व्यक्ति करता है, उसकी कोई कामना अधूरी नहीं रहती है। यह व्रत 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के समान फल देता है।

शिव पूजा सामग्री | Shiv Pujan Smagri

  • लकड़ी की चौकी
  • शिवलिंग या पंच धातु से बनी मूर्ति
  • तंबूलम – पान, सुपारी, दक्षिणा और एक भूरे रंग के नारियल से बनी भूसी को दो भागों में तोड़ दिया जाता है।
  • चंदन का पेस्ट
  • कच्चे चावल
  • पवित्र राख
  • पूजा और आचमनिया करने के लिए पंच पत्र स्टील से बचें।
  • सभी प्रसाद की व्यवस्था के लिए ट्रे
  • पवित्र धागा
  • कलाव
  • गुलाल
  • कपड़े के तीन ताजे अप्रयुक्त टुकड़े (अधिमानतः सफेद) – एक चौकी को ढंकने के लिए, एक भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाने के लिए और दूसरा अभिषेक के बाद मूर्ति को पोंछने के लिए।
  • पंचामृत (वैकल्पिक)। इसके लिए आपको एक केला, शहद, मिश्री (चीनी क्रिस्टल), घी, किशमिश चाहिए।
  • अभिषेक के लिए – गंगाजल, जल, शहद, घी, दूध और दही। आप अभिषेक तभी कर सकते हैं जब आप शिव लिंग या भगवान शिव की मूर्ति का उपयोग कर रहे हों)।
  • पूजा क्षेत्र की सफाई के लिए गंगाजल
  • विभिन्न अनुष्ठानों के लिए पानी
  • एक तेल का दीपक
  • दीये के लिए तिल का तेल या सरसों का तेल या घी
  • एक माचिस
  • कपास की बत्ती
  • आरती के लिए कपूर
  • इत्र
  • पुष्पम (धतूरा के फूल, सफेद मुकुट के फूल, गुलाब, रजनीगंधा या कोई अन्य फूल)। आप इनमें से सभी या इनमें से कोई एक फूल चढ़ा सकते हैं।
  • धूप
  • नैवेद्य
  • फल । आप एक फल भी चढ़ा सकते हैं।
  • विल्वा। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रसादों में से एक है।
  • सूखे मेवे – सूखे खजूर और अन्य सूखे मेवे

दोस्तों ऊपर मैंने आपको समग्री बता दी है जो भी शिवपूजन के बीच में बढ़ती जाती हैं|  सही ढंग से पूजा करवाने के लिए आप अपने निवासी स्थान के नजदीक जो भी ब्राह्मण देव होते हैं उनसे करवाना अति शुभ होगा | लेकिन दोस्तों मैं तो आपको यही सलाह देता हूं भोले बाबा की पूजा में कोई नियम नहीं होता फिर भी लोग व्यवहार के लिए हमें नियम को देखना पड़ता है |

भोलेनाथ तो इतने भोले हैं कि वह मात्र एक बेलपत्र और एक जल के लोटे से ही प्रसन्न हो जाते हैं|  दोस्तों गलत करने से तो अच्छा है आप सच्चे दिल से भगवान शिव पर विपत्ति अर्पण करें और जल अथवा दूध चढ़ाएं|

सोमवार व्रत की पूजा कैसे करें

  • सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान से निवृत्त हो जाएं
  • पूरे घर में गंगाजल या पवित्र जल छड़ के |
  • घर में किसी साफ सफाई वाले स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति जाए उनकी प्रतिमा स्थापित करें\
  • अगर आपके घर में शिवलिंग स्थापित है तो अभिषेक से पूजा शुरू करनी चाहिए|
  • अभिषेक के बाद बेलपत्र सुमित्रा कुशा ,कमल, नील कमल का फूल ,कनेर के फूल आदि से भगवान शिव को प्रसन्न करें\
  • आप एक बर्तन में जल भरकर उसमें अक्षत. शक्कर .मिश्री .शहद.  ghee . गंगाजल आदि एक लोटे में डालकर और हाथ में बिल पतरी लेकर भगवान शिव को अर्पण करें |
  • भगवान शिव का ध्यान करें|
  • भगवान शिव के समक्ष बैठकर ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय का जाप करें| राम नाम का शिव के  समक्ष बैठकर उच्चारण करने से भगवान की बहुत प्रसन्न होते हैं|
  • भगवान शिव के साथ-साथ  गणेश ,माता पार्वती शिव गणों अशोक सुंदरी जी और कार्तिक जी की  अथवा पूरे शिव परिवार की भी पूजा की जाती है
  • व्रत करने के भी अपने नियम हैं कुछ लोग निराहार करते हैं कुछ फलाहार करते हैं और कुछ लोग एक समय भोजन करते हैं |
  • शाम को भी भगवान शिव के समक्ष बैठकर उनकी व्रत कथा पढ़नी ह
  • किसी प्रकार की त्रुटियां अपराध गलती दोष हो गए हो तो हमें क्षमा करें|

मेरा मानना तो यह है कि भक्तों को सदा ही सरलता से भगवान की पूजा करें अधिक किंतु परंतु में फसने से तो यही है कि आप अपने सरलता और भोलेपन से बाबा खोली रीजाय | पूरी विधि बताना इन लेखों में संभव नहीं है |

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