शिव रुद्राभिषेक मंत्र | Shiv Rudrabhishek Mantra :->भगवान शिव अत्यंत परम उदार हैं और यह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। आशुतोषस्वरूप भगवन शिव को शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी मन्त्रों द्वारा विविध द्रव्यों से अभिषेक करनें पर शिव प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
कई जन्मों के हमारे पातक कर्म (पाप) जलकर नष्ट हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है। भक्तों को समृद्धि और शांति के साथ – साथ उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
शिव रुद्राभिषेक मंत्र | Shiv Rudrabhishek Mantra
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
रूद्राभिषेक की पूजा प्रक्रिया
रूद्राभिषेक में शिवलिंग को उत्तर दिशा में रख कर शिवलिंग पर पवित्र गंगाजल धारा अर्पण कर पूजा और अर्चना की जाती है। रुद्राभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है परन्तु त्रियोदशी तिथि,प्रदोष काल और सोमवार को इसको करना परम कल्याण कारी है। श्रावण मास में किसी भी दिन किया गया रुद्राभिषेक अद्भुत व् शीघ्र फलदायी होता है।
रूद्राभिषेक की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।
इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।