शिव मंत्र | shiv mantra :-> जय शिव मंदिरों की श्रंखला भगवान शिव के वह मंत्र हैं जो व्यक्ति को मनवांछित फल देने वाले आप उनकी मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं
शिव मंत्र | shiv mantra
महामृत्युंजय मंत्र :->
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
षडाक्षर मंत्र :-
ॐ नमः शिवाय पंचाक्षर मंत्र :-> नमः शिवाय वेदसार शिव स्तोत्रम् | Vedsar Shiv Stav lyrics पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम। जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1। महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्। विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2। गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्। भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3। शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्। त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4। परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्। यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5। न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा। न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6। अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्। तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7। नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते। नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8। प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्। शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9। शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्। काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10। त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ। त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितो वेदसारशिवस्तवः संपूर्णः ॥ श्री रुद्राष्टकम् | Shri Rudrashtakam :-> नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् * १* निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् * २* तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा * ३* चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि * ४* प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् * ५* कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी * ६* न यावत् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् * ७* न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो * ८* रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये । ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति * Shri Shiva Bilvashtakam | श्री शिव बिल्वाष्टकम त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनॆत्रं च त्रियायुधं त्रिजन्म पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं Tridalam trigunakaram trinetram cha triyayudham Trijanmapapasamharam ekabilvam shivarpanam त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कॊमलैः शुभैः तवपूजां करिष्यामि ऎकबिल्वं शिवार्पणं Trishakhaih bilvapatraishcha hyachchidraih komalaih shubhaih Tavavapujam karishhyami ekabilvam shivarpanam कॊटि कन्या महादानं तिलपर्वत कॊटयः काञ्चनं क्षीलदानॆन ऎकबिल्वं शिवार्पणं Koti kanya maha danam tila parvata kotayah Kanchanam sheela danena ekabilvam shivarpanam काशीक्षॆत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं प्रयागॆ माधवं दृष्ट्वा ऎकबिल्वं शिवार्पणं Kashikshetranivasam cha kalabhairavadarshanam Prayagamadhavam druishtva ekabilvam shivarpanam इन्दुवारॆ व्रतं स्थित्वा निराहारॊ महॆश्वराः नक्तं हौष्यामि दॆवॆश ऎकबिल्वं शिवार्पणं Induvare vratam sthitwa niraharo maheshwara Naktam haoushyami devecha eka bilvam shivarpanam रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा तटाकानिच सन्धानम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं Ramalinga pratistha cha vaivahika krutam tatha tatakadi cha santanam eka bilvam shivarpanam अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं कृतं नाम सहस्रॆण ऎकबिल्वं शिवार्पणं Akhanda bilva patram cha ayutam shiva poojanam Krutam nama sahasrena eka bilvam shivarpanam उमया सहदॆवॆश नन्दि वाहनमॆव च भस्मलॆपन सर्वाङ्गम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं Umaya sahadevesha nandi vahana meva cha Bhasma lepana sarvangam eka bilvam shivarpanam सालग्रामॆषु विप्राणां तटाकं दशकूपयॊः यज्नकॊटि सहस्रस्च ऎकबिल्वं शिवार्पणं Salagrameshu vipranam tatakam dasha koopayo Yagyakoti saharacha eka bilvam shivarpanam दन्ति कॊटि सहस्रॆषु अश्वमॆध शतक्रतौ कॊटिकन्या महादानम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं Dantikoti sahasreshu ashwamedha shatakratau Kotikanya mahadanam ekabilvam shivarpanam बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं अघॊर पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं Bilvanam darshanam punyam sparshanam papa nashanam Aghora papa samharam eka bilvam shivarpanam सहस्रवॆद पाटॆषु ब्रह्मस्तापन मुच्यतॆ अनॆकव्रत कॊटीनाम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं Sahasra veda patheshu brahma sthapana muchyate Aneka vrata kotinam eka bilvam shivarpanam अन्नदान सहस्रॆषु सहस्रॊप नयनं तधा अनॆक जन्मपापानि ऎकबिल्वं शिवार्पणं Annadana sahasreshu sahasropanayanam tatha Aneka janma papani eka bilvam shivarpanam बिल्वस्तॊत्रमिदं पुण्यं यः पठॆश्शिव सन्निधौ शिवलॊकमवाप्नॊति ऎकबिल्वं शिवार्पणं Bilvashhtakamidam punyam yah patheth shivasannidhau. shivalokamavapnoti eka bilvam shivarpanam Jyotirlinga Stotram :- श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम् । तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् ॥2 अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् । अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् ॥3 कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय । सदैवमान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे ॥4 पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम् । सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि ॥5 याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः । सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये ॥6 महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः । सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥7 सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे । यद्धर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे ॥8 सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः । श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि ॥9 यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च । सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि ॥10 सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम् । वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये ॥11 इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् । वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणम् प्रपद्ये ॥12 ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण । स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च ॥13 ॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रं संपूर्णम् ॥ shiv gayatri mantri :-> ॐ तत् पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमही तन्नो रुद्र प्रचोदयात