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सर्वमंगला मंदिर | Sarbamangala Temple

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सर्वमंगला_मंदिर_Sarbamangala_Temple

सर्वमंगला मंदिर | Sarbamangala Temple :->मगध साम्राज्य के अभ्युदय काल के पूर्व से ही अधिष्ठात्रि महाशक्ति के रूप में मंगला मां लोक पूजित रही है| और आज भी अपनी वशिष्ठ अलौकिक शक्ति के कारण मंगला गौरी मंदिर संपूर्ण बिहार के देवी मंदिरों का मेनू शिखर बना हुआ है।

सर्वमंगला मंदिर | Sarbamangala Temple | समशक्तिपीठ

गया बोधगया मार्ग पर नगर के दक्षिण की ओर लगभग 51 सीढ़ी ऊपर आदि माता मंगला गौरी का प्प्रांगण है| जिसके ठीक बीचोबीच मां का मंदिर है।
भारतवर्ष के द्वादश प्रधान देवी तीर्थ और प्रख्यात 108 शक्ति स्थलों में सर्वमंगला पीठ भी है |विभिन्न धर्म ग्रंथों में यथा देवी भागवत, त्रिपुरा रहस्य, कल्याण, चंडी आदि में इसे बिहार का सर्व प्रमुख प्रामाणिक शक्तिपीठ माना गया है, ज्ञातव्य है कि यहां सती का सतन गिरा था| बाहरी दीवार पर संपूर्ण दुर्गा सप्तशती अंकित है |जिसमें विघ्न विनाशक गणेश उमाशंकर आदि की मूर्ति प्रमुख है |रामचंद्र नायक ने मंदिर के पुनर्निर्माण में गिरी परिवार और स्थानीय लोगों के साथ अमूल्य योगदान दिया।


मंगला सिंह द्वार से प्रवेश करते ही भीम गया वेदी दर्शनीय है |यहां पांडव सहोदर भीम के ठहरने का निशान देखा जा सकता है |यहां पिंडदान भी होता है| फिर आगे संकट मोचन हनुमान जी का मंदिर है| प्रांगण में ही अलकृत गणेश जी का एक छोटा मंदिर है |वहां के मंदिर के चारों और प्रदषिना हैं |परिसर में खर्च गद्दारी दुर्गा मां का मंदिर है।


मुख्य मंदिर के ठीक सामने दो तालों में विभाजित शिव मंदिर है| पास स्थित गुप्तकालीन कृति जनार्दन मंदिर है| यहां चतुर्भुज भगवान की प्रतिमा है|


इसके अलावा एक और शिव मंदिर, हवन कुंड, यज्ञशाला, पूजन ग्रहआदि यहां की शोभा बढ़ा रहे हैं| मां के इस स्थल की महिमा यह जानकर और भी बढ़ जाती है कि पूरे देश में सती के देहा वशेष पतित होने के पूर्व देवी पूजन स्थल में एक था| यह पुण्यमय स्थान जहां उस जमाने में माता मंगला काली की पूजा अर्चना होती थी |प्रति वर्ष लगभग 12 से 15 लाख भगत दर्शन करते हैं।

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