कामाख्या धाम मंदिर | Kamakhya Dham Temple :->जिला मुख्यालय सहारनपुर में 45 किलोमीटर की दूरी पर वेट विधानसभा के अंतर्गत शिवालिक की पर्वत मालाओं में यह प्रसिद्ध सिद्ध पीठ स्थापित है|
कामाख्या धाम मंदिर | Kamakhya Dham Temple| upshaktipeeth
इस मंदिर को महाराज धामदेव द्वारा स्थापित किया गया था |पूर्व में इस जगह पर महवन नाम का घना जंगल था |इसी के कारण इस स्थान का नाम गहमर गांव पड़ा।माता का गर्भ गृह 12 फीट लंबा, 15 फीट ऊंचा बना है |जिसमें माता की तीन मूर्तियां है |मध्य मंदिर में माता कामाख्या देवी माता के दाएं हाथ पर श्री महालक्ष्मी माता जी विराजमान है |
मुख्य देवी के बाएं हाथ पर श्री कामाख्या जी पिंडी के रूप में विद्यमान है| इस पिंडी के बगल में पीतल का बाघ है |जो 1 फुट का है |मुख्य कामाख्या देवी श्यामवर्ण में है |माता के मस्तक पर चांदी का मुकुट शोभित है |
मां की अदाएं फीट की प्रतिमा है |तथा चांदी का छत्र लगा है |माताजी सिंह पर सवार है। माता के सामने चांदी का एक पद चिन्ह रखा है |आंखों में सोने का पत्र चढ़ा है| मां का स्वरूप अति दिव्य है |मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा संगमरमर की 2 फीट ऊंची है जो गौरव वर्ण है| लाल चुनरी में फूलों के हार से मां सज्जित हैं| कामाख्या देवी लाल वस्त्र एव गले में हार धारण किए हुए हैं| संपूर्ण गर्भ ग्रह संगमरमर से सज्जित है |
गर्भ गृह में मुख्य तीन द्वार है -मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर खुलता है |द्वार पर पीतल का फाटक लगा हुआ है |गर्भ ग्रह के चारों तरफ परिक्रमा मार्ग की संगमरमर का बना हुआ है।
मंदिर का संपूर्ण भाग लगभग 15 फीट ऊंचे स्थान पर है | दक्षिण की ओर एक धर्मशाला है |एक विशाल सभाकक्ष भी निर्मित है |मुख्य मंदिर के ठीक सामने हवन कुंड है| पीछे भाग में पुजारी महाराज जी का निवास स्थान बना है|
मुख्य मंदिर के अतिरिक्त बाई और गुफा की तरफ एक मंदिर है| जिसमें सरस्वती माता श्री दुर्गा माता की ढाई फीट की सुंदर आकर्षक संगमरमर की प्रतिमाएं स्थापित है |इसी मंदिर के ठीक सामने एक नीम का वृक्ष है| इसी जगह एक पाठशाला है |इसके नीचे भैरव महाराज का मंदिर है वह मंदिर का कार्यालय है।
मुख्य मंदिर के अतिरिक्त दाएं तरफ उत्तर दिशा में दूसरी गुफा बनी है|जिसमें महाकाली जी की प्रतिमा 3 फीट ऊंची विराजमान है जो श्याम वर्ण में है| और हाथ में खड़क धारण किए हैं इसमें भी स्टील की गोल आकार गोलाकार रेलिंग एव फाटक लगा है|
मंदिर का भीतरी भाग पत्थर से सज्जित है| मंदिर के बाहर एक कुआं भी है और इसी जगह पर पुराणिक मां कामाख्या की प्रतिमा का अवशेष रखा है |जो औरंगजेब द्वारा खंडित की गई है| इस स्थान पर विवाह आदि अनुष्ठान संपन्न होते हैं।
माता का मंदिर प्रात 4:00 बजे खुलता है और साय 7:00 बजे बंद हो जाता है| दोनों समय आरती होती है| दोनों नवरात्रि और सावन झूला मेला में लगभग 20 हजार भक़्त दर्शन करते हैं |यह मेला यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
इस स्थान पर 12 पुजारी 4 कर्मचारी है| मंदिर निर्मित भवन 2 एकड़ में है |संपूर्ण क्षेत्रफल 35 एकड़ का है| फल फूल प्रसाद की 100 दुकानें हैं |प्रतिदिन लगभग दो से तीन हजार भक़्त दर्शन करते हैं |झूला मेला अब दोनों नवरात्रों में कई लाख भकत आते हैं |अब प्रति वर्ष लगभग 20 से 22 लाख भक़्त दर्शन करते हैं।