कल्याणी देवी मंदिर | kalyani Devi Mandir :->यह उप शक्तिपीठ कल्याणपुर में स्थित है| माता कल्याणी देवी का प्रयोग महात्मय के 76वे अध्याय में शलोक वर्णित है| स्वामी करपात्रीजी महाराज के अनुसार यह ललिता देवी का उप शक्ति पीठ है जो कल्याणी देवी के नाम से प्रसिद्ध है।
कल्याणी देवी मंदिर | kalyani Devi Mandir |upshaktipeeth|उपशक्त्ति पीठ
यहां सती की दो उंगलियां गिरी थी| मंदिर के पीछे भद्र भैरव नाथ का मंदिर है |माता के बैठने के स्थान पर चांदी का सिहासन लगा हुआ है |माता का दिव्य स्वरूप मन को अति शीतलता प्रदान करता है।
भगवती कल्याणी का प्रतिमा मंडल दिव्य आभा और आकर्षण का केंद्र है |प्रतिमा मंडल के मध्य भाग में मां कल्याणी( भगवती ललिता जी) चतुर्भुजी रूप में सिंह पर सवारी किए हुए विराजमान है |
मूर्ति के शीर्ष भाग में एक आभा चक्कर है, मस्तक पर योनि लिंग एवं फणींद्र शोभयमान है। मध्य मूर्ति के वाम पार्श्व में 10 महाविद्याओं में से एक भगवती छिन्नमस्ता की अनुपम प्रतिमा विराजमान है|
दक्षिण भाग में देवा दी देव महादेव की मनोरम प्रतिमा है |मुख्य प्रतिमा के ऊपर दाएं बाग में विघ्न विनाशक गजानन गणेश की सुंदर प्रतिमा है |मध्य मूर्ति के ऊपर बाई और अतुलित बलधामं रुद्रावतार पवनसुत श्री हनुमान जी की मूर्ति सुशोभित है।
माता के मंदिर के अतिरिक्त यहां पर स्थित मंदिर के प्रांगण में श्री गणेश, श्री शंकर, श्री गौरी, श्री हनुमान और श्री राम सीता के मंदिर स्थापित है| नवरात्रि में शत चंडी का पाठ तथा विशाल भंडारा होता है |
यहां भक्तों की काफी भीड़ रहती है| यह माता का विशेष श्रृंगार होता है |प्रात काल से रात्रि तक भक्तों की लाइनें लगी रहती है| संपूर्ण मंदिर संगमरमर पत्रों से सज्जित है| यहां पर फल और प्रसाद की 10 स्थाई दुकानें लगी है।
मेलों में सैकड़ों की संख्या में दुकानें लगती है| प्रतिवर्ष 10 से 11 लाख भकत दर्शन करते हैं |प्रति बारहवें वर्ष प्रयाग में महाकुंभ का आयोजन होता है| जिसमें 2 माह के अंदर 4 करोड से अधिक भकत गंगा, यमुना सरस्वती में डुबकी लगाते हैं| यह संसार का सबसे बड़ा महाकुंभ होता है।