मिथिला भगवती स्थान | Mithila Bhagwati Sthan :->यह शक्तिपीठ जिला मुख्यालय समसतीपुर से 10 किलोमीटर दूर मनीपुर ग्राम में स्थापित है| तंत्र चूड़ामणि के अनुसार मिथिला शक्तिपीठ है जो जनकपुर में स्थापित है|
मिथिला भगवती स्थान | Mithila bhagwati Sthan
इस शक्तिपीठ के संबंध में बहुत से भक्त्त अपने-अपने स्थानों को भी शक्ति पीठ मानते हैं |समस्तीपुर का यह शक्तिपीठ भी इसी में शामिल है| यह मिथिला शक्ति पीठ ही समसतीपुर में माना जाता है |इसलिए इसे सम शक्तिपीठ का नाम दिया गया है| गर्भ ग्रह में माता की विशाल प्रतिमा सिंह सवारी पर अति सुंदर दिव्य स्वरुप है |
मां के 8 हस्त हैं। मस्त्क पर मणि मुकुट शोभित है |बाएं हस्त में गधा, शंख, त्रिशूल, नाग, दाएं हाथ में चक्कर, तलवार फरसा, कमल, माता के दाएं लक्ष्मी जी, इनके दाए श्री गणेश तथा गंगा जी की सुंदर प्रतिमा स्थापित है।
माता की बाएं हाथ पर मां श्री सरस्वती जी, हनुमान जी और इनके बाय शिवलिंग भोलेनाथ की प्रतिमा, सबसे आगे 9 पिंडी माता की है जो अपने आप प्रकट हुई थी| मंदिर का शिखर 40 फीट ऊंचा है |
मुख्य मंदिर के सामने श्री शैलेश भैरव जी महाराज है| संपूर्ण मंदिर पक्का व आधुनिक गुलाबी रंगों से कलाकृति है |शिखर पर देवी-देवताओं के अनेक चित्र विद्यमान है |मंदिर अति सुंदर कलाकृतियों से युक्त अल ग्रंथ है।
मंदिर में एक पुजारी तथा एक कर्मचारी है| इस स्थान पर भकतो की भारी भीड़ होती है |तथा भक्तों की मनोकामना की पूर्ति होती है |इस शक्तिपीठ का नाम समसतीपुर में विख्यात है| इन स्थानो पर चैत्र नवरात्रि, आश्विन नवरात्रि, दीपावली, मकर संक्रांति, होली व अन्य त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं| और मेले लगते हैं |जिसमें भक्तों की भारी भीड़ रहती है| मंदिर के आसपास फल फूल प्रसाद की 10 दुकाने लगी रहती है।
देवी पुराण महाभागवत में वर्णित 51 शक्तिपीठों में यह स्थान 17वा रहा है |यहां पर माता का वाम संकध गिरा था |यहां की शक्ति महा देवी और भैरव महोदर है| कवार नवरात्रि में 4 दिन का मेला होता है |जिसमें भक्तों की संख्या प्रतिदिन 200 से 500, चैत्र नवरात्रि में 500 से 1000, होली में 500 से 1000 तथा प्रति वर्ष लगभग 7 लाख भक्त दर्शन करते हैं।
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