श्री कुंजापुरी देवी मंदिर | Shree kunjapuri Devi Mandir :-> कुंजापुरी देवी मंदिर 108 दिव्य शक्ति सथलो में से एक है |अपने पिछले जन्म में देवी पार्वती सती के नाम से जानी जाती थी |उनका विवाह शिवजी से हुआ था| लेकिन देवी सती के पिता राजा दक्ष ज्यादा खुश नहीं थे|
श्री कुंजापुरी देवी मंदिर |Shree kunjapuri Devi Mandir | समशक्तिपीठ
उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया जो कि अग्नि देव को समर्पित था | राजा दक्ष ने उस यज्ञ में ना अपनी बेटी को और ना ही उनके पति को बुलाया |जब यह बात उनकी बेटी सती को पता चली तो उन्होंने यह फैसला किया कि वह फिर भी उस यज्ञ में जाएगी| भगवान शिव ने उनसे कहा कि वह अपने इस विचार को त्याग दें लेकिन उन्होंने इस बात को नहीं माना।
राजा दक्ष ने सती को ऐसा कारण बताया जो कि कुछ भी नहीं था, लेकिन फिर भी लोगों के बीच उनके पति मजाक का पात्र बन गए और इस बात से सती गुस्सा होकर आग में कूद गई |और अपना जीवन समाप्त कर लिया| यह देखकर शिवजी रुष्ट हो गए और वहां का सारा यज्ञ तहस-नहस कर दिया| वह सती के बचे हुए भागों को अपने कंधों पर उठाकर तांडव नृत्य करने लगे |
जिससे पूरा ब्राह्मड खतरे में पड़ गया इस ब्राह्मड को बनाने वाले देवताओं ने सोचा कि यदि हिंदू शास्त्रों के अनुसार सती का सही ढंग से अंतिम संस्कार नहीं हुआ तो वह देवी पार्वती के रूप में दोबारा जन्म नहीं ले सकेगी| भगवान विष्णु ने सोचा कि वह भगवान शिव के गुस्से का सामना नहीं कर सकते |,अतः उन्होंने ने चक्र से सती के शेष अंगो को काटकर गिराया |
जिस जगह उनके बच्चे हुए भागों को गिराया गया वह जगह शक्तिपीठ के नाम से जानी जाने लगी| ऋषिकेश टेहरी मोटर मार्ग पर समुंदर की सतह से 1645 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुंजापुरी शक्तिपीठ है |इस पवित्र देवी मंदिर का संबंध भी दक्ष प्रजापति के यहां आयोजित यज्ञ में दगध हुई शिव पत्नी सती से हैं |
पौराणिक वर्णन के अनुसार सती की मृत्यु का एक अंग यहां भी गिरा था| परंतु प्राणों में इसका उल्लेख नहीं है |अप्रैल और अक्टूबर के नवरात्रों में हजारों भगत यहां देवी दर्शन के लिए आते हैं| यह दिव्य शक्ति सथल देवी भागवत के अनुसार 108 दिव्य स्थानों में से 45 वां है प्रतिवर्ष 16 से 18 लाख भगत दर्शन करते हैं।