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Pipal puja ke niyam : भूलकर भी ये गलतियां ना करें  वरना सहना पड़ेगा दरिद्रता का प्रकोप

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Pipal puja ke niyam

Pipal puja ke niyam :->मित्रों पीपल का परीक्षण हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सबसे ज्यादा पूज्य है |  पीपल के वृक्ष की पूजा के बगैर हमारी कोई भी पूजा सफल नहीं मानी जाती बेशक हो पूजा पितरों के लिए हो और यह किसी देवी-देवताओं के लिए जाएं भगवान के लिए | अगर आप पीपल की पूजा नहीं करते हैं तो आपकी  सभी भुजाएं अधूरी हैं| 

विज्ञान के मुताबिक भी पीपल का वृक्ष सबसे ज्यादा ऑक्सीजन प्रदान करने वाला है इससे यह पता चलता है कि  सनातन और विज्ञान साथ साथ ही चलते हैं|

वनस्पति शास्त्र के मुताबिक वृक्ष की पूजा  अर्चना करना मूर्तियों की पूजा से भी ज्यादा लाभदायक होता है | लेकिन उस पूजा करने का भी कोई नियम होता है अगर वह नियम पद्धति से हम किसी वृक्ष की जब पीपल की पूजा करें तभी हमें वह अति लाभदायक होगा| 

दोस्तों आप भी पीपल की पूजा करने के ऊपर इस प्रकार की गलतियां करते हैं और क्या आप भी जानना चाहते हैं कि पीपल की पूजा का नियम क्या होता है तो नीचे हमने इसका संक्षेप वर्णन दिया है|

Pipal puja ke niyam

1:  सबसे पहले दोस्तों जब भी आप पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना करने जाएं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आप उनकी परिक्रमा अवश्य करें | इसके बिना आपकी पूजा अधूरी है|

2:  दोस्तों कम से कम पीपल की 4 या सात परिक्रमा अवश्य करें |

3:  पूजा उसी पीपल वृक्ष की करनी चाहिए जिसकी छांव आपको प्राप्त हो  यानी कुछ लोगगमले में लगे हुए पीपल वृक्ष के पौधे की पूजा कर कर भी पीपल वृक्ष की पूजा मानते हैं वह पूजा भी सफल नहीं है | यहां कोई आपके आसपास कोई पीपल का वृक्ष लगा हुआ वह अभी अभी उसकी पूजा भी मान्य नहीं है  वह आपको पूरा फल नहीं देती

4:  परिक्रमा  करते वक्त एक बात ध्यान रखें  कि जब आप प्रक्रम आरंभ करें आपके हाथ में 7 दाने किशमिश के यहां चार दाने मिश्री के आपके हाथ में अवश्य हो जब आप अपनी एक-एक परिक्रमा पूरी करें तब आप उस एक-एक दाने को रखते जाएं जहां से आपने अपनी परिक्रमा आरंभ  करी है |

5:  पीपल के वृक्ष के नीचे शाम को ही दिया प्रज्वलित करें सुबह में नहीं |

6:  पीपल के वृक्ष पर सदैव सुबह ही जल अर्पण करें शाम को नहीं |

7:  सुबह जल दान शाम को दीपदान यह पीपल के वृक्ष का पूजा विधि है

8:  रविवार वाले दिन कभी भी जल ना चढ़ाएं | स्पर्श तक नहीं करना चाहिए |

9:  द्वादशी वाले दिन भी पीपल पर स्पर्श अथवा जल ना चढ़ाने का विधान है |

10:  भक्तों की पीपल वृक्ष की पूजा सदैव निरंतर रहनी चाहिए  यह नहीं कि आप एक शनिवार गए और दूसरे शनिवार नहीं है|

11:   पीपल को जल देते वक्त किस बात का ध्यान रखें कि उस जल में कुछ मीठा अवश्य ही डाला हो |

12:  आप काले तिल  जल में मिश्रित करके पीपल को अर्पित कर सकते हैं|

13:   जब भी आप पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह जल आपके पैरों को ना छुए  अगर आपके पैरों को जल जूता भी है तो आप उस जल को स्पर्श करके अपने माथे के साथ लगा ले इससे क्या होगा कि आप को उसका कोई दोष नहीं लगेगा और इससे जल का सम्मान भी हो जाएगा|

14:   शास्त्र पढ़ने तो यही है कि  पीपल पूजा का विधान तब ही है जब सूर्य उदय हो रहा हो इस वक्त पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है|

15:-  शनिदेव की पूजा के लिए सुबह पूजा करने के लिए आपका मुंह पूरब की तरफ हो और शाम को पूजा करते वक्त आपका मुंह पश्चिमी  की तरफ हो|

16 : शाम के वक्त जब आप शनिवार वाले दिन दीपदान करें तो अवश्य इस बात का भी ध्यान करें कि आपका दिया सही समय तक जग जाना चाहिए यानी आपको नो 9:30 बजे से पहले पहले आपको दीपदान शनिवार वाले दिन कर देना अति आवश्यक है

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