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महाज्ञानी विधुर जी की नीतिया| Mahagyani vidhur ji ki nitiya

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महाज्ञानी विधुर जी की नीतिया| Mahagyani vidhur ji ki nitiya ->विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं | विदुर एक दासी पुत्र थे, इसलिए उन्हें राजा बनने का अधिकार नहीं था | लेकिन अपनी बुद्धिमता एंड ज्ञानता के दम पर वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री बने | विदुर हमेशा सच का साथ देते थे, चाहे उन्हें स्वयं राजा के विरोध का ही सामना क्यों न करना पड़े, इसलिए विदुर को धर्मराज भी कहा जाता था | विदुर समय और प्रस्तुति के अनुसार राज्य की भलाई और सफलता के लिए अपनी नीतियाँ बनाते थे और राजा धृतराष्ट्र के साथ उन नीतियों पर चर्चा करते थे | इन नीतियों को ही विदुर निति कहा जाता है |

चले आये पढ़ते कुछ विधुर बहुत अहम् नीतिया अपना साथ बनाये रखे |

महाज्ञानी विधुर जी की नीतिया| Mahagyani vidhur ji ki nitiya

1 : मन ,वचन और कर्म से हम जिस वास्तु के बारे में लगातार सोचते है|वही हम अपने और आकर्षित कर लेते है |अतः हमे सदाह अछि चीज़ो का चिंतन करना चहिये|

जैसे की अगर हम दिन भर किसी प्रॉब्लम के बारे में सोचते है और उसी की बाते करते रहे | फिर वह मुसबित कम नहीं और बढ़ जाएगी |अगर हम उस मुसीबत के हल के बारे में सोचे तो अवश्य हम उसका हल ढूंढ लेंगे |

कहा जाये तोह विधुर ने हज़ारो सालो पहला law of atraction को बताह दिया था | जो आज के समय बहुत बड़े बड़े business man उसी करते है |

2 : जो कम बोलै और और अधिक सुने वह बुद्धिमान मनुष्य कहलाता है |
अगर हम दुनिया के सभी succesfull लोग को observe करे तो हम देखगे की वह कम बोलते और आदिक सुनते है ऐसे इसलिए अधिक सुनने वाले लोग learning attitude वाले होते|इसलिए वह सुनके ज्यादा से ज्यादा सीखना चाहते है |

3 : बुरा लोगो के साथ रहना वाला व्यक्ति बेकुसूर होना के बाबजूद भी बुरा आदमी की तरह सजह पाते है| जिस तरह सुखी लकड़ी के साथ गीली लकड़ी व् जल जाते है |इसलिए बुरा लोगो से मित्रता नहीं करनी चाहिए |
महाज्ञानी विधुर जी के अनुसार अगर हम कैसे बुरा वियक्ति के साथ मित्रता रखते है तोह उसके बदले हमे व् दंड सहना पढ़ सकता है |

4 : जो काम करके अंतकाल पछताने पढ़े , उसी शुरू ही ही नहीं करना चाहिए | अक्सर ऐसा होते है की हम बिना सोचे समझे जा कैसे के बहकावे में कोई काम शुरू कर देता है लेकिन बाद में पछताना पढता है |

5 :दुनिया में सफलता पाने की इच्छा करने वाले लोगो को सदैव नींद,उघ ,भेह क्रोध ,आलश्य तथा देर से काम करने के आदत | इन आदतों को वयक्ति ने परीतियाग कर देना चाहिए|

निष्कर्ष :–वैसे तो बहुत स विधुर जी की नीतिया है लेकिन उन में से कुछ नीतिया है जो आपके समक्ष प्रस्तुत की है इसे सदैव अपने जीवन में धारण करे |

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