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कालीघाट मंदिर  शक्तिपीठ | kalighat Mandir History

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kalighat Mandir history :->जिला मुख्यालय 10 किलोमीटर की दूरी पर ताली भारत नामक स्थान पर यह kali mata mandir शक्ति पीठ स्थापित है| कोलकाता का मूड ही काली कोर्ट   माना जाता है और कालिकोट से ही कालीघाट नामकरण हुआ है|  कोलकाता प्राचीन काल से ही भारत का सिरमौर रहा यह एक प्राचीन महानगर है जो गंगा तट पर स्थापित है|हावड़ा और सियालदह के प्रमुख रेलवे स्टेशन है 

kalighat Mandir History in hindi

यहां पर माता सती के दाएं पैर की 4 उंगलियां हम उठे को छोड़कर गिरी थी| यह शक्तिपीठ जनमानस की श्रद्धा एवं आराधना केंद्र बिंदु है यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव   नकुलइस  है| इस महामाई की शक्ति के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं| और यह हम सभी के जीवन को खुशनुमा बनाती है

कैसा दिखता है कालीघाट मंदिर मंदिर के गर्भ गृह में एक विशाल शीला पर माता के स्वरूप की प्रतिमा विराजमान है| मां का स्वरूप अति सुंदर है इनके तीन नेत्र हैं मां के मस्तक पर मणिमुक्त सुशोभित है| मां का मस्तिष्क एवं तेल डाल है| मां काली जी के चारों हाथ पर दांत सोने के हैं और हर हाथ का वजन 10 किलोग्राम है|

गले से सोने की 108  असुर मुंडमाला  है| मां काली के चरणों में 7 किलोग्राम चांदी की शिव प्रतिमा है मुकुट और जी सोने की है हाथ पर सोने की चूड़ी और कंगन है माताजी के सिर पर सोने और चांदी का छत्र है |

घर की छत नीचे बहुत बड़ा चक्कर लगा है द्वारा नकाशी की हुई है मंदिर का संपूर्ण भाग  सफेद एवं नीले रंगों की टाइल पत्रों से सदर जीत है गर्भ ग्रह में तीन गेट हैं जो दाएं बाएं एवं सामने की ओर  खुलते हैं|

अलीगढ़ मंदिर की अन्य जानकारी:-

मुख्य मंदिर के ठीक सामने एक विशाल सभा कब से बना हुआ है यहां पर बैठकर मां की पूजा करते हैं और हजारों घंटे  लगे हुए हैं| मुख्य मंदिर के चारों को लोहे की रेलिंग लगी है जो हल्के गुलाबी रंगों से भरी हुई  है| मंदिर के दाई और श्री नारायण मंदिर है जो पति मिसाल बना हुआ है नारायण मंदिर के सामने शिव मंदिर मुख्य मंदिर के पीछे हनुमान जी का मंदिर  है|

माता का पद्मासन सोने का है जो शीला से मुक्त हैं| प्रतिदिन प्रात से लेकर देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहता है मंदिर का प्रशासक 18 सदस्य काली घाटी मंदिर कमेटी द्वारा संचालित है इसका अध्यक्ष अलीपुर का जिला का जज होता है

कौन है कालीघाट मंदिर का भैरव :-

कालीघाट का पहरा हुआ है शंभू नकुलेश्वर| पंजाब के दारा सिंह ने इस मंदिर का निर्माण किया 18 शताब्दी में नकुलेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ था| ईश्वर मंदिर में नित्य पूजा पाठ होता है| और शिवरात्रि क्षेत्र शांति समिति चतुर्दशी तक दिनों में भक्तों की भीड़ होती है|

झड़प के समय सन्यासी लोगों का जाप होता है यहां पर मेला लगता है वह गजानन यानी सन्यासी कपाल पर चंदन लगाकर नाचते हैं दूसरे दिन में शोभा से भैरव जी के पास भक्तों का आना जाना लगा रहता है| पूर्णिमा के दिन संध्या के समय मिथिलेश्वर जी के सामने गुलिस्तान पर बैठकर कीर्तन होता है|

मंदिर के बारे में जानकारी:-

मंदिर की फूल माला की 1000 दुकानें हैं अन्य सामानों एवं तस्वीर की दुकानें हैं मंदिर में 4000 पुजारी तथा कर्मचारी क्षेत्रफल 1 एकड़ है  प्रतिदिन लगभग 5000 भक्त अवशेष वर्गों में 30000 से ज्यादा लोग प्रतिदिन यहां प्रदर्शन करते हैं|

kalighat temple timing

मंदिर के खुलने का समय: सुबह 5.00 बजे से दोपहर 2.00 बजे तक। और शाम 5.00 बजे रात 10.30 बजे तक|

मार्ग परिचय :-

कोलकाता से लखनऊ 11,000  ,दिल्ली से 1550,मुंबई 3020,पटना 532 वाराणसी 760 किलोमीटर दूर है निकट रेलवे स्टेशन हावड़ा हवाई अड्डा कोलकाता है

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