हनुमान जयंती | Hanuman Jayanti 2023->हनुमान जयंती या यूं कहें जो हनुमान जन्मोत्सव एक हिंदू त्यौहार है। यह हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा को आता है। शुद्ध भाषा में कहीं तो किस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ है
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हनुमान जयंती | Hanuman Jayanti 2023
हनुमान जी भगवान शिव के महारुद्र अवतारों में से एक हैं। जुमानजी भक्तों में अग्रणी है। इनकी भक्ति और निष्ठा का बखान इन शब्दों में नहीं किया जा सकता। परम राम भक्त और शिवा भाग जो राम हनुमान जी ने अपने स्वामी भगवान श्री राम के प्रति जो दिखाया है उसके बारे में बोलना जैसे समंदर को एक बाल्टी में भरने के बराबर है।
हनुमान जी कलयुग के राजा देवता हैं। बालाजी एक अजब अमर अविनाशी देवता है। भगवान राम के बाद हनुमान जी को यह कलयुग काल के अंत कर यहीं पर रहकर लोगों में राम नाम की भक्ति का प्रचार करना है।
हनुमान जी का जन्म किस तरह हुआ | hanuman ji ka jnam kaise hua| kon the hanuman ji ke mata pita –
हनुमान जी के जन्म जन्म के बारे में अनेकों अनेक बातें ग्रंथों में बताई गई हैं। लेकिन जो विश्व प्रसिद्ध है मानी जाती है वह यही है कि हनुमानजी है पवन पुत्र यानी पवन देवता के पुत्र और माता का नाम अंजनी देवी था।
ज्योतिष की गणना के अनुसार भगवान बालाजी का जन्म अश्विन जा हजार एक सौ 12 वर्ष पहले त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार वाले दिन मेष लग्न में सुबह 6:30 बजे भारत देश में झारखंड राज्य के गुमला जिले के अंजान नाम के छोटे से पहाड़ी गांव की एक गुफा में हुआ था।
हनुमान जी का नामकरण कैसे हुआ | hanuman ji ka naam haunman kaise pda:-
एक बार इंदर देव के पर से हनुमान जी तुझे टूट गई |जिस्का एक नाम हनु भी है|इसलिए हनुमान जी का 1 नाम हनुमान पड़ा। हनुमान जी के अनेकानेक नाम प्रसिद्ध है। जैसे कि बजरंगबली, बालाजी, अंजनी पुत्र,अंजलि सूट, पवन पुत्र, श्री नंदन, महावीर, संकट मोचन, शंकर सुमन आदि।
हनुमान जी दिखनी में कैसे थे | Hanuman ji dikhne mein kaise the:-
रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों जिलों में राम के चरित्र का वर्णन करा है उनके मुताबिक हनुमान जी का मुख एक वानर की तरह था। हनुमान जी बहुत बलवान और बलिष्ठ पुरुष दिखाई दिए जाते थे। इनका शरीर बहुत बलशाली था। उनके कंधे पर जो न्यू लटका रहता था। हनुमान जी मात्र एक लंगोट पहनते थे। वह मस्तक पर स्वर्ण मुकुट एवं शरीर पर स्वर्ण आभूषण पहनने दिखाई दिए जाते थे। उनकी बहुत लंबी पूंछ थी। जिससे उन्होंने पूरी लंका का दहन भी किया था।
हनुमान जी के गुरु कौन थे | Hanuman ji ke Guru kon the :-
लोगों की मान्यता के अनुसार भगवान हनुमान जी के गुरु सूर्य देव थे। परंतु सच्चाई यह भी है कि ऋषि मनिंदर जी उनके वास्तविक गुरु थे।
कैसे मनाई जाति हनुमान जयंती | kaise mnai jaate hanuman jayanti :
हनुमान जी का यह शुभ दिन यानी हनुमान जयंती लोगों के लिए अति शुभ और उनकी मनोकामना को पूर्ण करने वाला दिन है। जिसके संग हनुमान जी खड़े हो जाते हैं उन्हें ना तो कोई नौ ग्रहों की दशा सताती है। और ना ही कोई डाक नहीं पर चाचणी भूत प्रेत अंसारी वादा कोई सता सकती है। क्योंकि हनुमान जी सब कष्टों को दूर करने का सर्व समर्थ रखते हैं? जहां हनुमान जी खड़े हो जाते हैं वहां कोई भी अशुभ लक्षण प्रवेश नहीं कर सकता।
दर्शन हेतु हनुमान मंदिर में हनुमान भक्त हनुमान जयंती के दिन जाते हैं। कुछ लोग हनुमान जी का व्रत धारण करते हैं। और उनकी पूरे सच्चे भावना से पूजा करते हैं। हनुमान जी को जनेऊ भी चढ़ाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे? हनुमान जी पर चमेली के तेल के साथ मिलाकर संदूर भी लगाया जाता है। और चांदी का बरकावी चढ़ाने की परंपरा है।
कहा जाता है कि राम की लंबी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था। जिससे प्रसन्न होकर राम जी ने खबर हनुमान जी को करा था कि आज के बाद जो भी व्यक्ति हनुमान जी के शरीर पर सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर लगाया गा का उसकी सभी मनोकामना मैं पूरी करूंगा।
हनुमान जयंती वाले दिन हनुमान चालीसा राम चित्र मानस सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते हैं।
भिन्न-भिन्न स्थानों पर हनुमान जयंती अलग-अलग दिन मनाई जाती है जैसे कि तमिलनाडु के केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को मनाई जाती है और ओडिशा को वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती हैं।
हनुमान जी को पाने का एक सरल उपाय मात्र सच्चा दिल |
कब मनाई जाएगी हनुमान जयंती 2022 में | Kab mnaye jayegi hanuman jayanti 2022 mein :-
इस साल यानी 2022 में हनुमान जयंती 11 अप्रैल 2017 मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। देशभक्तों का भाग्य कष्ट हुआ है वह इस दिन अपना भाग्य उदित कर सकते हैं। संकटों से ग्रसित लोग इस दिन संकट मोचन का पाठ करें। सभी हनुमान भक्तों को अनिवार्य है कि हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम 11 बार तो वश्य करें और राम नाम का जप जरूर साथ में करें।
हनुमान जयंती व्रत कथा
बहुत समय पहले त्रेता युग में अयोध्या नगरी में राजा दशरथ का बहुप्रख्यात और समृद्ध राज्य हुआ करता था। राजा दशरथ की तीन रानियां थीं जिनका नाम कौशल्या, सुभद्रा और कैकेयी था। राजा दशरथ की एक भी संतान नहीं थी जिसके वजह से वह बेहद दुखी रहा करते थे। एक दिन अग्नि देव से मिली खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों पत्नियों को दे दिया। तीनों रानियों ने इस खीर को खाया लेकिन एक चील ने झपट्टा मारा और खीर मुंह में लेकर उड़ गया। उड़ते-उड़ते वह देवी अंजना के आश्रम चला गया। देवी अंजना ऊपर ही देख रही थीं कि तभी चील के मुंह से खीर गिरा जो देवी अंजना के मुंह में चला गया।
अनजाने में देवी अंजना वह खीर खा गईं। अग्नि देव द्वारा दी गई इस खीर की कृपा से मां अंजना ने भगवान शिव के अवतार हनुमान जी को जन्म दिया। जिस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी और वह मंगलवार का दिन था। कहा जाता है कि जब भगवान श्री हनुमान का जन्म हुआ था तब उन्होंने जनेऊ धारण करके रखा था।
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इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था इसलिए मनाई जाती हनुमान जयंती।
अगर भक्तों की सेहत ठीक है तो हनुमान जी का व्रत कर सकते हैं। अगर नहीं तो शरण में हनुमान चालीसा का पाठ करें सीता राम का जप करें हनुमान जी को लाल सिंदूर चमेली के तेल में मिलाकर लगाएं और उनके चांदी का पर चढ़ाएं प्रसाद चढ़ाएं उनके चरणों में दीपक एवं दूध लगाएं।
माता सीता राम और राम राम जप ही हरा हनुमान जी को प्रसन्न कर सकता है।
16 अप्रैल दिन शनिवार को हनुमान जयंती मनाई जाती।