एकादशी आरती |Ekadashi Aarti :->
एकादशी आरती |Ekadashi Aarti
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर शक्ति मुक्ति पाता।
तेरे नाम जिनावो देवी भक्ति प्रदान करनी।
गणगौर की देनी माता शास्त्रों में वर्णित।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष में उत्पन्न होती।
शुक्ल पक्ष में मोक्षदायिनी पापों को धोती।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की सफला नामक है।
शुक्ल पक्ष में हुए पुत्रदा में कृष्ण पक्ष में आवे।
शुक्ल पक्ष में जया कहावे विजया सदा पावे।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
विजया फाल्गुन कृष्ण पक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में चैत्र माह बाल की।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा धन देने वाली।
नाम वरुथिनी कृष्ण पक्ष में वैशाख महाबली।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
शुक्ल पक्ष में हुए मोहिनी अपरा अपरा जेस्ट कृष्ण पक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी शुक्ल पक्ष रखी।
योगिनी नाम आषाढ़ में जानू कृष्ण पक्ष बरनी।
ओम देव छावनी नाम कहां हो शुक्ल पक्ष धरनी।
ओम कामिका श्रावण मास में आवे कृष्ण पक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ल हुए पुत्रदा आनंद से रहिए।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
आजा भाद्रपद कृष्ण पक्ष की परिवर्तन शुक्ला।
इंद्र आश्विन कृष्ण पक्ष में व्रत से भवसागर निकला।
पाशा कुशा में शुक्ल पक्ष में पाप हरण हारी
रमा मांस कार्तिक में आवेश सुखदायक भारी।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
देवउठनी शुक्ल पक्ष की दुख नाशक मैया।
लॉन्ग मास की करूं बेनती पार करो नईया।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
शुक्रवार में हुए पद्मनी दुख दरिद्र हरनी।
परमा कृष्ण पक्ष में होती जनमंगल करनी।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।
जो कोई आरती एकादशी की भक्ति सहित गावे।
जन रघुनाथ स्वर्ग का भाषण निश्चय व्यापार।
ओम जय एकादशी ,जय एकादशी,जय एकादशी माता।…*2