धूमावती माता की कथा | Dhumavati Mata ki katha :-> हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी, उस समय कैलाश पर्वत पर खाने को कुछ नहीं था। उन्होंने भोजन की मांग भगवान शिव से की, लेकिन भोलेनाथ समाधि में लीन थे। बार-बार खाने की मांग करने पर भी नीलकंठ महादेव ने कोई जवाब नहीं दिया।
धूमावती माता की कथा | Dhumavati Mata ki katha
भूख की तीव्रता से बैचेन होकर माता पार्वती ने भगवान शिव को ही निगल लिया।
भगवान शिव के गले में विष होने की वजह से पार्वती जी के शरीर से धुआं निकलने लगा। जहर के प्रभाव से वह भयंकर एवं कुरूप दिखने लगी उसके बाद भगवान शिव ने उनसे कहा कि तुम्हारे इस रूप को धूमावती के नाम से जाना जायेगा।
अपने पति भगवान शिव को ही निगल जाने के कारण भगवान शिव के अभिशाप की वजह से उन्हें एक विधवा के रूप में पूजा जाता है। माता पार्वती इस रूप में बहुत ही क्रूर दिखती हैं जो कि एक हाथ में तलवार धारण किये हुए रहती हैं।
माता का यह स्वरूप देख कर भगवान शिव कहते हैं देवी, अब से आपके इस रूप की भी पूजा होगी। तब से माता विधवा स्वरूप, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए खुले केश रूप में पूजी जाती हैं तथा माता का वाहन कौवा है।