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Bajrang Ke Aate Aate Hanuman Bhajan Lakhbir Singh

Bajrang Ke Aate Aate Hanuman Bhajan Lakhbir Singh—>यह सुंदर भजन लखविंदर सिंह लक्खा द्वारा गायन किया गया है इसमें लखविंदर जी राम जी की मन की स्थिति का वर्णन कुछ इस प्रकार करते हैं कि हनुमानजी शीघ्र अति शीघ्र संजीवनी बूटी लेकर आ जाए| कहीं देर ना हो जाए|

Bajrang Ke Aate Aate Hanuman Bhajan Lakhbir Singh

बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ।

क्या भोर होते होते,
बजरंग आ सकेंगे,
लक्ष्मण को नया जीवन,
फिर से दिला सकेंगे ।
कही सास की ये डोरी,
कमजोर हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ॥
बजरंग के आते आते…॥

कैसे कहूँगा जा के,
मारा गया है लक्ष्मण,
तज देगी प्राण सुन के,
माता सुमित्रा फ़ौरन ।
कहीं यह कलंक मुझसे,
इक और हो ना जाए रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ॥
बजरंग के आते आते…॥

लक्ष्मण बिना है टूटा,
यह दांया हाथ मेरा,
कुछ सूझता नहीं है,
चारो तरफ अँधेरा ।
लंका में कहीं घर घर,
ये शोर हो ना जाये रे
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ॥
बजरंग के आते आते…॥

वर्ना अटल है शर्मा,
मेरी बात ना टलेगी,
लक्ष्मण के साथ मेरी,
लख्खा चिता जलेगी ।
मैं सोचता तो कुछ हूँ,
कुछ और हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं॥
बजरंग के आते आते…॥

बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ।

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