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पंचामृत | Panchamrit

पंचामृत_Panchamrit

पंचामृत | Panchamrit :->पंचामृत कैसे बनाते है। पंचामृत में क्यों के तत्व का किन किन द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। उन्हें द्रव्यों का कितना अनुपात होना चाहिए, कितना परिमाण होना चाहिए। पंचामृत के विषय में शास्त्रों और पुराणों में क्या क्या निर्देशित किया गया है?यह सब हम आपको इस लेख में जानकारी देंगे

पंचामृत | Panchamrit


चामृत जो है। हर पूजा में अति आवश्यक होता है। जितने भी शुभ कार्य धार्मिक कार्य होते हैं, उन सब पूजाओं में पंचामृत का विशेष महत्व है। पंचामृत से भगवान को स्नान कराया जाता है पर तब तक वे अलग अलग भी तत्वों से द्रव्यों से कराया जाता है। पंचामृत से भी स्नान कराया जाता है और पंचामृत का नैवेद्य भी खाया जाता है। नैवेद्य के बाद वही पंचामृत जो हर प्रसाद में भक्तों को दर्शनार्थियों को दिया जाता है तो चलिए हम आरंभ करते हैं।

पंचामृत के लिए धातु का चयन


किसी भी चीज के लिए पात्र का चयन बहुत आवश्यक होता है। आप पूजा के लिए जो जल रख रहे हैं, वह भी किस पात्र में होना चाहिए। पंचगव्य रखा रहे है किस पात्र में होना चाहिए या पंचामृत रख रहे हैं। किस पात्र में होना चाहिए अथवा दूध रख रहे हैं। वह भी किस पात्र में होना चाहिए। यहां तक के आप जो है। अभिषेक इत्यादि के लिए जो भी द्रव्य रखते हैं जैसे कि कहीं तेल रखते हैं, कहीं गन्ने का रस रखते हैं।


कहीं पर फल का रस रखते हैं। इन सबके लिए भी अलग अलग धातुओं का निर्देश शास्त्र ने दिया है। हर एक। धातु का अपना एक अलग औचित्य है। उसी के कारण ही उसका उसमें महत्व बताया गया है। इसीलिए उस धातु का वहां उपयोग किया जाता है। यहां तक कि आप देखेंगे अब पात्र का चयन दान करते समय भी करना चाहिए।

शास्त्र कहता है कि सदा पात्र को ही दान करना चाहिए। पात्र अर्थात योग्यता तो उसे ही और उसके योग्य जो है सब कुछ होना चाहिए। पंचामृत के योग्य जो है बनाने के लिए वह सबसे उत्तम चांदी का पात्र चांदी का पात्र नहीं है तो आप स्टील का ले सकते हैं अथवा मिट्टी का पात्र ले सकते हैं। परंतु तांबे पीतल अष्टधातु, पंचधातु। इन पात्रों में आपको पंचामृत बिल्कुल भी नहीं बनाना है। तो पंचामृत में होता क्या है।

panchamrut 5 ingredients |पंचामृत की मिलाने वाली 5 वस्तुओं


कहीं पर फल का रस रखते हैं। इन सबके लिए भी अलग अलग धातुओं का निर्देश शास्त्र ने दिया है। हर एक। धातु का अपना एक अलग औचित्य है। उसी के कारण ही उसका उसमें महत्व बताया गया है। इसीलिए उस धातु का वहां उपयोग किया जाता है। यहां तक कि आप देखेंगे अब पात्र का चयन दान करते समय भी करना चाहिए। शास्त्र कहता है कि सदा पात्र को ही दान करना चाहिए। पात्र अर्थात योग्यता तो उसे ही और उसके योग्य जो है सब कुछ होना चाहिए।

पंचामृत के योग्य जो है बनाने के लिए वह सबसे उत्तम चांदी का पात्र चांदी का पात्र नहीं है तो आप स्टील का ले सकते हैं अथवा मिट्टी का पात्र ले सकते हैं। परंतु तांबे पीतल अष्टधातु, पंचधातु। इन पात्रों में आपको पंचामृत बिल्कुल भी नहीं बनाना है। तो पंचामृत में होता क्या है। सबसे पहले दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और शक्कर शक्कर की जगह जो है

और कहीं कहीं गुड़ का भी उपयोग करते हैं। कोई कोई ऐसा कहता है कि शक्कर अशुद्ध होती है। कारण तो हमें नहीं पता परंतु लोग कहते हैं कि शक्कर अशुद्ध होती है तो गुड़ का उपयोग अधिकतर गांवों में तो किया ही जाता है गाय का दूध, गाय का दही और गाय के दूध से बना हुआ ghee, शहद, गुड और खंड का उपयोग पंचामृत में किया जाता है|

  • गाय का दूध,
  • गाय का दही
  • गाय के दूध से बना हुआ ghee
  • शहद
  • गुड और खंड

ध्यान देने वाली बात :->

अगर तो पंचामृत भगवान श्री हरि नारायण भगवान श्री कृष्ण राम जी को अर्पण करना है उस पंचामृत में तुलसी का उपयोग बहुत शुभ माना जाता है और अनिवार्य है| माना जाता है कि तुलसी जिस भी चीज के साथ रखी जाती है वह भगवान श्रीकृष्ण हो जाती है

और अगर पंचामृत भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को समर्पित करना है तो उसमें तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता है|

पंचामृत कैसे बनाते हैं | पंचामृत बनाने की विधि


दूध जो है 10 गुण होना चाहिए। वही हमने आपको पिछले वीडियो में बताया था कि जो गोल पालक गोल अंगूठा गूँजा, ये जो होना होरा शास्त्र के अंतर्गत आता है तो अगर आपको जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में बताइएगा हम गुण लिए जानकारी आपको दे देंगे तो जीरा मतलब दूध जो है दशपुर में होना चाहिए। उसका दो हज़ार 10 10 का 10 गुना जो है और वो होना चाहिए। दही होना चाहिए। इससे फिर दही का 10 गुना जो है घी होना चाहिए।घी का 10 गुना शहद होना चाहिए और शहद से थोड़ा अधिक जो है वह शकर होना चाहिए |

पंचामृत अभिषेक मंत्र | panchamrit abhisheik mantar

भगवान को पंचामृत बनाने और चढ़ाने के लिए एक विशेष मंत्र का प्रयोग किया जाता है अगर उस मंत्र के साथ भगवान का पंचामृत से अभिषेक कराया जाए तो उसका फल हजार गुना बढ़ जाता है और भगवान की विशेष कृपा का पात्र बनता है और उस पर उसके इष्ट देव सदैव प्रसन्न रहते हैं| इस मंत्र का उल्लेख है नीचे दिया गया है इसका उपयोग चढ़ाते समय ही करना चाहिए और यह बहुत ही लाभदायक रहेगा| जब भी आप इसका प्रयोग भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए करें तो वह   अवश्य  का प्रयोग करें

ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां, स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः ।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय, मा गामनागामदितिं वधिष्ट ।

पंचामृत के फायदे | panchamrit ke fayide

दोस्तों अब सबसे जरूरी बात की पंचामृत चढ़ाने से क्या लाभ होता है|

दोस्तों इस विषय में ऐसी कोई भी चीज नहीं है कि जिसका कुछ भी कारण ना हो हर चीज के पीछे कोई न कोई कारण तो अवश्य होता है और सनातन धर्म तो पल पल के साथ हर एक इंसान को अपनी दिव्यता से हैरान करता आया सनातन धर्म को अगर गौर से समझा तो देखा जाए तो इसके पीछे एक विज्ञान छुपा हुआ है 

-दोस्तों पुराणों के मुताबिक पंचामृत को चढ़ाने से शरीर को तंदुरुस्ती  मिलती है |

–  यह मन को शांत करता है और बुद्धि को शीतल करता है

– पाचन तंत्र की क्रिया को नियंत्रित रखता है जिससे हमारा भोजन पचने में आसानी होती है

– यह प्रति व्यक्ति की एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है

– शरीर पर अलग सा ही नूर बनाता है

– सभी रोगों को दूर रखता है

– पंचामृत में जो शहद का प्रयोग किया जाता है उसे मधुमेह अथवा अन्य रोगों से मुक्ति मिलती है

– वाणी दोष दूर हो जाते हैं

निष्कर्ष

मेरा तो यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को पंचामृत भगवान को चढ़ाना चाहिए उससे अभिषेक करना चाहिए दोस्तों भगवान तो मात्र जल चढ़ाने से भी खो जाते हैं यह तो पंचामृत है 5 वर्षों का मिलन करके भगवान को चढ़ाया जाता है

\कि जो भगवान को खत्म किए हैं इसलिए दोस्तों इसकी चढ़ाने की विशेषता है| दोस्तों अपने जीवन का एक प्रतीक रोज का एक नियम बना लो कि भगवान को सदैव पंचामृत चढ़ाना है और देखिए आपकी जीवन कितना खुशनुमा बन जाता है

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