Navratri 2nd Day | Mata Brahmcharini ji :->दुर्गा मैया की मूर्तियां हैं जय नव दुर्गा कहते हैं| नव दुर्गा माता का पाठ करने से सब कष्टों का निवारण होता है |नवरात्र के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की आराधना। ये देवी भी हर मनाकामना करती है। कहते हैं इस दिन कुंडलिनी शक्तियों को जागृत करने के लिए भी साधना की जाती है। माँ दुर्गा का ये दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को शुभ और अनंत फल देने वाला है| नवदुर्गा कहलाने वाली नौ देवियों के नाम इस प्रकार हैं|
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कुष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
Navratri 2nd Day | Mata Brahmcharini ji
नवरात्रि के 9 दिन के पावन त्यौहार में देवी भगवती के नो रूपों की पूजा की जाती है।नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है।यह देवी दुर्गा के नौ अवतारों में से एक है। ब्रह्मचारिणी अवतार में, मां दुर्गा तपस्या करती हैं।
ब्रह्मचारिणी नाम दो शब्दों से लिया गया है – “ब्रह्म” का अर्थ है तप या तपस्या और “चारिणी” का अर्थ है उत्साह से भरी हुई महिला । शास्त्रों में ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानि तप का आचरण करने वाली बताया गया है।
देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।मां का यह रूप अपने भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है।
मां ब्रह्मचारिणी देवी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम मैं वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी, मंगल ग्रह की शासक हैं। वह भाग्य की दाता है और वह अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करती है।
मंगल दोष और कुंडली में मंगल की प्रतिकूल स्थिति से उत्पन्न समस्याओं को दूर करने के लिए ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है | आइए अब सुनते हैं
मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र :
ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नम:
Brahmacharini Mata Ki Aarti
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ब्रह्मचारिणी के प्रिय भोग
चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग