बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना | Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona :->Song – बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना Singer – लखबीर सिंह लक्खा Location – Ambey Studio Delhi
बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना | Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना॥
श्लोक – मुर्छित हुए जब लखनलाल रण में,
लगी चोट रघुवर के तब ऐसी मान में,
रोके सुग्रीव से बोले जाओ,
अभी बंद फौरन लड़ाई कराओ॥
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना,
मुझे और जीने की चाहत नहीं है,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
की लंका विजय की जरात नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना॥
मेरा दाहिना हाथ है आज टूटा,
लखन लाल से है मेरा साथ छूटा,
बिना लक्ष्मण के हुआ मैं अपाहिच,
बिना लक्ष्मण के हुआ मैं अपाहिच,
धनुष अब उठाने की ताकत नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना॥
मैं दुनिया को क्या मुंह दिखूंगा जकार,
क्या माता को आखिरी बटुंगा जाकार,
मैं कैसे कहूंगा लखन आ रहा है,
मैं कैसे कहूंगा लखन आ रहा है,
मुझे झूठ कहने की आदत नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना॥
ये सुनाकर पवनसुत बोले आगे बढ़कर,
मैं बूटी संजीवन ले आता हूं जकार,
मेरे जीते जी काल लक्ष्मण को खा ले,
अभी काल में इतनी ताकत नहीं है,
मेरे जीते जी काल लक्ष्मण को खा ले॥
प्रबल बेग से फिर हनुमान धाय,
उठा कर हथेली पे पर्वत ले आए,
ले आ पहुंचे सूरज निकलाने से पहले,
किसी वीर में इतनी करामाती नहीं है,
ले आ पाहुन्चे सूरज निकलाने से पहले॥
वो लाकर संजीवन लखन को जिलाये,
दो बिछड़े हुए भाई हनुमत मिलाये,
है जीतानी कृपा राम की उनके ऊपर,
किसी भक्त की इतनी इनायत नहीं है,
है जीतनी कृपा राम की उनके ऊपर॥
करो प्रेम से ‘शर्मा’ बजरंग का सुमिरन,
सब दूर हो जाएगी तेरी उलझन,
पढ़े रोज जो ‘लखखा’ हनुमत चालीसा,
कभी उसपे आ सकाति आफत नहीं है,
करो प्रेम से ‘शर्मा’ बजरंग का सुमिरन,
कभी तुमसे आ शक्ति आफत नहीं है ॥
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना,
मुझे और जीने की चाहत नहीं है,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
की लंका विजय की जरात नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सूना सूना॥