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Jaya ekadashi vrat katha(और जानिए इस एकादशी कुछ खास बातें)

जया एकादशी की कथा | Jaya ekadashi vrat katha ;->जय गणेश व्रत कथा अपने आप में व्यक्ति के समस्त पाप को नाश करने में समर्थ हैं बहुत से व्यक्ति इस व्रत कथा ढूंढते हैं उनको ना मिलने के लिए हमने यह व्रत कथा नीचे दी गई है कृपया पढ़े और अन्य वीडियो एकादशी का व्रत धारण करते हैं उनको भी इसको शेयर करें

जया एकादशी की कथा | Jaya ekadashi vrat katha

नंदन वन में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवता, सिद्ध संत और दिव्य पुरूष वर्तमान थे। उस समय गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य प्रस्तुत कर रही थीं। सभा में माल्यवान नामक एक गंधर्व और पुष्पवती नामक गंधर्व कन्या का नृत्य चल रहा था। इसी बीच पुष्यवती की नज़र जैसे ही माल्यवान पर पड़ी वह उस पर मोहित हो गयी।

पुष्यवती सभा की मर्यादा को भूलकर ऐसा नृत्य करने लगी कि माल्यवान उसकी ओर आकर्षित हो। माल्यवान गंधर्व कन्या की भंगिमा को देखकर सुध बुध खो बैठा और गायन की मर्यादा से भटक गया जिससे सुर ताल उसका साथ छोड़ गये।

इन्द्र को पुष्पवती और माल्यवान के अमर्यादित कृत्य पर क्रोध हो आया और उन्होंने दोनों को श्राप दे दिया कि आप स्वर्ग से वंचित हो जाएं और पृथ्वी पर निवास करें। मृत्यु लोक में अति नीच पिशाच योनि आप दोनों को प्राप्त हों। इस श्राप से तत्काल दोनों पिशाच बन गये और हिमालय पर्वत पर एक वृक्ष पर दोनों का निवास बन गया।

यहां पिशाच योनि में इन्हें अत्यंत कष्ट भोगना पड़ रहा था। एक बार माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दोनो अत्यंत दु:खी थे उस दिन वे केवल फलाहार रहे। रात्रि के समय दोनों को बहुत ठंढ़ लग रही थी अत: दोनों रात भर साथ बैठ कर जागते रहे। ठंढ़ के कारण दोनों की मृत्यु हो गयी और अनजाने में जया एकादशी का व्रत हो जाने से दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति भी मिल गयी। अब माल्यवान और पुष्पवती पहले से भी सुन्दर हो गयी और स्वर्ग लो में उन्हें स्थान मिल गया।

देवराज ने जब दोनों को देखा तो चकित रह गये और पिशाच योनि से मुक्ति कैसी मिली यह पूछा। माल्यवान के कहा यह भगवान विष्णु की जया एकादशी का प्रभाव है। हम इस एकादशी के प्रभाव से पिशाच योनि से मुक्त हुए हैं। इन्द्र इससे अति प्रसन्न हुए और कहा कि आप जगदीश्वर के भक्त हैं इसलिए आप अब से मेरे लिए आदरणीय है आप स्वर्ग में आनन्द पूर्वक विहार करें।

कथा सुनकार श्री कृष्ण ने यह बताया कि जया एकादशी के दिन जगपति जगदीश्वर भगवान विष्णु ही सर्वथा पूजनीय हैं। जो श्रद्धालु भक्त इस एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें दशमी तिथि से को एक समय आहार करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि आहार सात्विक हो। एकादशी के दिन श्री विष्णु का ध्यान करके संकल्प करें और फिर धूप, दीप, चंदन, फल, तिल, एवं पंचामृत से विष्णु की पूजा करे।

जया एकादशी पूजन विधि

जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि स्वच्छ वस्त्र पहनें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद मंदिर में गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें और भगवान विष्णु का पूजर करें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए. देसी घी में ​मिलाकर हल्दी का तिलक लगाना चाहिए. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और मिठाई अर्पित करें. एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के समक्ष भी घी का दीपक अवश्य जलाना चाहिए. इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता और दिनभर केवल फलाहार ​ही लिया जाता है.

जया एकादशी व्रत 2023: डेट और शुभ मुहूर्त

जया एकादशी को भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं इस व्रत को करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार के अनुसार इस बार माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 31 जनवरी 2023 को रात 11 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी और 1 फरवरी 2023 को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर इसका समापन होगा. |

उदयातिथि के अनुसार जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी को रखा जाएगा. जया एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और पूरे दिन रहेगा. इस व्रत का पारण 2 फरवरी 2023 को किया जाएगा. पारण का शुभ समय सुबह 7 बजकर 9 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.

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