देवराहा बाबा की जीवनी | Devraha Baba ki Biography :-> देवराहा बाबा भारत के उत्तर प्रदेश के एक प्रसिद्ध एवं सिद्ध महापुरुष एवं संत पुरुष थे। बड़े-बड़े राजनेता फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े उद्योगपति और बड़ी विभूतियां बाबा के भक्त और उनके दर्शन के लिए आते थे। देवराहा बाबा अष्टांग योग में भी पारंगत थे।
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देवराहा बाबा की जीवनी | Devraha Baba ki Biography
बाबा के बहुत करीब ही रहने वाले हैं मार्कंडेय महाराज जी के मुताबिक देवराहा बाबा निर्वस्त्र रहते थे और जमीन से 12 फुट ऊंचे लकड़ी के बने एक फटो के बने एक मचान में रहते थे।
पहले देवरा बाबा ने अनेक वर्षों तक हिमालय में अपनी अज्ञात रूप रहकर साधना करी वार्ड में वह पूर्वी उत्तर प्रदेश देवरिया नामक स्थान पर पहुंचे वहां वर्षों में निवास करने के कारण उनका नाम देवराहा बाबा पड़ा।
देवराहा बाबा की उम्र(Age of Devraha baba ):-
देवरा बाबा के जन्म के बारे में आज तक किसी को कुछ भी मालूम नहीं है। यानी उनकी सही उम्र का आंकलन किसी को पता ही नहीं है। देवराहा बाबा देवरिया जिले के रहने वाले थे। कहा जाता है कि देवराहा बाबा 900 साल तक जिंदा रहे थे। बाबा के पूरे जीवन के बारे में लोगों की अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोगों के मुताबिक ढाई सौ साल और कुछ लोगों के मुताबिक 500 साल का उनका जन्म था।
देवराहा बाबा किन के भक्त थे(Devraha Baba was Devotee of ):-
देवराहा बाबा राम जी के भक्त उनके मुख से सदा राम नाम रहता था | वह राम नाम का गुणगान करते थे| वह हमेशा राम नाम मंत्र की ही दीक्षा लोगों को देते थे।
देवराहा बाबा सदैव राम और कृष्ण भक्ति के लिया लोगो कहते थे और लोगों को भी राम नाम का मंत्र देते थे| देवराहा बाबा गौ सेवा को उत्तम सेवा मानते थे और गौ सेवा ही धर्म मानते थे। और वह लोगों को भी गौ सेवा के लिए प्रेरित करते थे।
बाबा का करिश्मा( Miracles by Devraha Baba ) :-
जो भी देवराहा बाबा को मिलने आता था यानी श्रद्धालुओं तो बाबा उनको सदैव कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे।
वह भारत भूमि की सदैव गुणगान गाते थे और बोलते थे कि भारत भूमि में इतनी तप है कि इसमें भगवान श्री राम और श्री कृष्ण जी के अवतार लिया यह देवभूमि इसकी सेवा रक्षा का प्रत्येक भारतवासी कर्तव्य है।
बाबा के भक्तों के द्वारा बताया जाता है कि बाबा का हाथ खाली होता था पर जब वह किसी श्रद्धालुओं को प्रसाद देने लगते थे उनके हाथ में कुछ ना कुछ फल एवं प्रसाद आ जाता था। और सभी लोग हैरान हो जाते थे |
श्रद्धालु द्वारा बताया जाता है कि देवरा बाबा एक जगह से दूसरी जगह कभी भी चले जाते थे। कहते हैं उनके आसपास आने वाले बबूल के पेड़ों में भी कांटे नहीं लगते थे और चारों तरफ सुगंधी खुशबू रहती है।
मारकंडे जी के मुताबिक देवराहा बाबा पानी के भीतर 30 मिनट तक कर सांस रोके रह सकते थे। और वह जानवरों की भाषा भी समझ लेते थे। जंगली जानवर उनके सामने आकर नतमस्तक हो जाते थे। पंडित जी ने यह भी बताया है कि बाबा गर्भ में नहीं पानी से अवतरित हुए हैं। कहते हैं कि उनका निजी वस्तुओं पर नियंत्रण था।
देवराहा बाबा का जीवन बहुत सरल और साथ में था। आज भी उत्तर प्रदेश में और देश के विभिन्न स्थानों पर देवराहा बाबा को सच्चे दिल से पूजा और माना जाता है।
“एक लकड़ी हृदय को मानो दूसर राम नाम पहिचानो
राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो “।
कब त्यागे देवराहा बाबा ने अपने प्राण(Devraha baba Death ):-
दिन मंगलवार 19 जून सन 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्याग कार ब्रह्मलीन हो गए।
देवराहा बाबा आश्रम(Devraha Baba Ashram):-
–देवराहा बाबा का आश्रम गांव माइल सरयू नदी के किनारे तहसील देवरिया मैं है।
-योगीराज देवराहा बाबा, पानीगांव खादर, वृंदावन, उत्तर प्रदेश 281121