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शनिदेव आरती | Shani dev ki aarti

  • Aarti

शनिदेव आरती | Shani dev ki aarti –>श्री शनिदेव जी जो की नव ग्रहो में से एक है | एने कर्म फल दाता से नाम से जाना जाता है | यह तो इंसान को उसके कर्मो का फल देता है | जिस पर इन की कृपा हो जाती है वो समाज में असीम प्रतिष्ठा प्राप्त करता है | आरती के संदर्व में लिरिक्स आगे लिखे हुए है

शनिदेव आरती | Shani dev ki aarti

जय जय शनि देव महाराज,
जन के संकट हरने वाले ||

तुम सूर्य पुत्र बलिधारी,
भय मानत दुनिया सारी ,
साधत हो दुर्लभ काज |

तुम धर्मराज के भाई,
जब क्रूरता पाई ,
घन गर्जन करते आवाज |

जय जय शनि देव महाराज….*1

तुम नील देव विकराली,
है साँप पर करत सवारी ,
कर लोह गदा रह साज |

जय जय शनि देव महाराज..*1

तुम भूपति रंक बनाओ,
निर्धन स्रछंद्र घर आयो ,
सब रत हो करन ममताज |

जय जय शनि देव महाराज…*1

राजा को राज मितयो,
निज भक्त फेर दिवायो ,
जगत में हो गयी जय जयकार |

जय जय शनि देव महाराज….*1

तुम हो स्वामी हम चरणं,
सिर करत नमामी जी ,
पूर्ण हो जन जन की आस |

जय जय शनि देव महाराज…..*1

जहाँ पूजा देव तिहारी,
करें दीन भाव ते पारी ,
अंगीकृत करो कृपाल |

जय जय शनि देव महाराज….*1

कब सुधि दृष्टि निहरो
छमीये अपराध हमारो ,
है हाथ तिहारे लाज |

जय जय शनि देव महाराज….*1

हम बहुत विपत्ति घबराए,
शरणागत तुम्हरी आये ,
प्रभु सिद्ध करो सब काज |

जय जय शनि देव महाराज..*1

यहाँ विनय करे कर जोर के,
भक्त सुनावे जी ,
तुम देवन के सिरताज |

जय जय शनि देव महाराज….*1

जय जय शनि देव महाराज,
जन के संकट हरने वाले ।

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