मेरे बांके बिहारी मोपे कृपा करो – vinodh agarwal :–विनोद अग्रवाल जी भजन या तो मुझ दीन को सहारा दीजिए अथवा खुद को दीनबंधु न कहिए, या तो मुझ पर कृपा कीजिए अथवा खुद को कृपालु न कहिए।
मेरे मेरे बांके बिहारी मोपे कृपा करो – vinodh agarwal
मेरे बांके बिहारी मोपे कृपा करो
मेरे कुंज बिहारी मोपे कृपा करो|
या तो नीचता मरोड़ दीजिए अधि की नाथ
या तो बुरी संगत से मन मोड़ दीजिए|
या तो दूर ही से हाथ जोड़ दीजिए मुझे भी
या तो पापियों की पंक्ति में ही जोड़ दीजिए|
या तो भंडा फोड़ दीजिए दयालुता का
या तो मेरा अन्तःकरण शुद्घ कर दीजिए|
या तो बिंदु तोड़ दीजिए भव बन्धन को
या तो अपना नाम दीन – बन्धु छोड़ दीजिए|
कृपा करो प्यारे कृपा करो…….
सिर्फ दर्शनों की उठी है अभिलाषा किन्तु
साधन अनेक, बात साधना है दूर की|
दान करूँ, धर्म करूँ, मन्दिर बनाऊँ दिव्य
इतनी कहां है भला हस्ती मज़दूर की|
एक ही सरल उपाय मिला है बिंदु
शायद इसी से कामना फलेगी क्रूर की|
करूंगा कसूर तो किसी दिन अदालत में
जाकर ही देख लूँगा सूरत हुजूर की|
मेरे बांके बिहारी मोपे कृपा करो
मेरे कुंज बिहारी मोपे कृपा करो|