मैं नहिं माखन खायो | Main Nahi Maakhan Khayo—यह भजन भारत की भजन सम्राट अनूप जलोटा जी ने गया है ! इस सुन्दर भजन में कृष्णा जी के बाल के दिनों में रची लीला का वर्णन किया है
मैं नहिं माखन खायो | Main Nahi Maakhan Khayo
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो |
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो ।
चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ॥
मैं बालक बहिंयन को छोटो, छींको किहि बिधि पायो ।
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो ॥
तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहे पतिआयो ।
जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो ॥
यह लै अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो ।
‘सूरदास’ तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ॥