माँ चिंतपूर्णी चालीसा| Maa Chintpurni Chalisa—माता चिंतपूर्णी जी का शक्ति पीठ हिमाचल के डिस्ट्रिक्ट :- उना में स्तिथ है | चिंतपूर्णी माँ को छिन्नमस्तिका के नाम से व् जाना जाता है | माता जी 51 शक्ति पीठ में से है | माना जी का जनम दिवस हर साल 26 मई को मनाया जाता है | माना जाता है यहाँ माता सती जी के चरण गिरे थे|माता जी की चालीसा का नियमित पाठ सच्चे मन से करने से जीवन में कभी भी दुःख नहीं मिलता चिंता से मुक्ति, मन को शांत ब हर कार्य में सफलता मिलती है नियम से पाठ करने पर भक्त महामाई का आशीर्वाद प्राप्त करता है||
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माँ चिंतपूर्णी चालीसा| Maa Chintpurni Chalisa
श्री गणेशाय: नम :
जय मां छिनमस्तिका
चित में वसो चिंतपूर्णी ,
छिन्मस्तिका मात |
सात बहन की लाड़ली ,
हो जग में विख्यात |
माईदास पर की कृपा,
रूप दिखाया श्याम|
सब की हो वरदायनी,
शक्ति तुमे प्रणाम |
छिन्मस्तिका मात भवानी,
कलिकाल में शुभ कलियानी|
सती आपको अंश दिया है ,
चिंतपूर्णी नाम किया है |
चरणों की है लीला न्यारी,
चरणों को पूजा हर नर नारी |
देवी देवता नतमस्तक ,
चैन नाह पाये भजे न जब तक |
शांत रूप सदा मुस्काता ,
जिसे देख आनंद आता |
एक और कलेश्वर सजे ,
दूसरी और शिववाड़ी विराजे |
तीसरी और नारायण देव ,
चौथी और मुचकुंद महादेव|
लक्ष्मी नारायण संग विराजे ,
दस अवतार उन्ही में साजे|
तीनो दुवार भवन के अंदर,
बैठे ब्रह्मा ,विष्णु ब शंकर |
काली , लक्ष्मी सरस्वती मां,
सत ,रज ,तम से व्याप्त हुई मां|
हनुमान योद्धा बलकारी ,
मार रहे भैरव किलकारी |
चौंसठ योगिनी मंगल गावे ,
मृदंग छैने महंत वजावे |
भवन के नीचे बाबड़ी सूंदर ,
जिसमे जल बेहता है झर झर |
संत आरती करे तुम्हरी,
तुमेः पूजते है नर नारी |
पास है जिसके बाग निराले ,
जहाँ है पुष्पों की है बनमाला |
कंठ आपके माला विराजे ,
सुहा सुहा चोला अंग साजे|
सिंह यहाँ संध्या को आता ,
छिन्मस्तिका शीश नबाता|
निकट आपके है गुरुद्वारा ,
जो है गुरु गोबिंग का प्यारा |
रणजीत सिंह महाराज बनाया ,
तुम स्वर्ण का छत्र चढ़ाया |
भाव तुम्ही से भक्ति पाया ,
पटियाला मंदिर बनबाया |
माईदास पर कृपा करके ,
आई होशिअरपुर विचर के |
अठूर क्षेत्र मुगलो नेह घेरा ,
पिता माईदास ने टेरा|
अम्ब छेत्र के पास में आये,
दोह पुत्र कृपा से पाये |
वंश माये नेह फिर पुजवाया ,
माईदास को भक्त बनबाया |
सो घर उसके है अपनाया ,
सेवारत है जो हर्षाया |
तीन आरती है मंगलमह ,
प्रात: मद्या और संद्यामय |
असोज चैत्र मेला लगता ,
पर सावन में आनंद भरता|
पान ध्वजा – नारियल चढ़ाऊँ,
हलवा , चन्ना का भोग लगाऊं|
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छनन य चुन्नी शीश चढ़ाऊँ,
माला लेकर तुम्हे ध्याऊँ|
मुझको मात विपद ने घेरा ,
जय माँ जय माँ आसरा तेरा|
ज्वाला से तुम तेज हो पति,
नगरकोट की शवि है आती|
नयना देवी तुम्हे देखकर,
मुस्काती है मैया तुम पर|
अभिलाषा मां पूरन कर दो,
हे चिंतपूर्णी मां झोली भर दो|
ममता वाली पलक दिखा दो ,
काम, क्रोध , मद , लोभ हटा दो |
सुख दुःख तो जीवन में आते ,
तेरी दया से दुःख मिट जाते |
चिंतपूर्णी चिंता हरनी ,
भय नाशक हो तुम भय हरनी |
हर बाधा को आप ही टालो,
इस बालक को आप संभालो|
तुम्हारा आशीर्वाद मिले ज,
सुख की कलियाँ खिले तब|
कहा तक तुम्हरी महिमा गाऊं,
दुवार खड़ा हो विनय सुनाऊ|
चिंतपूर्णी मां मुझे अपनाओ ,
“सतीश ” को भव पार लगाओ|
दोहा :
चरण आपके छू रहा हु , चिंतपूर्णी मात |
लीला अपरंपार हे , हो जगमें विख्यात ||
2.मूल मंत्र:
” ओइम ऐ ही कली श्री चामुण्डाय विच्चै:”
3.Maa Chintpurni Chalisa in English
Doha:
charan apke chu raha hu,chintapurni maat |
leela aprmpar hai ,ho jag mein vikhayat ||
Chopaye
chit mein baso chintapurni,
chinmastika maat|
saat behan ki ladli,
ho jag mein vikyat|
mayedass par ki kripa,
roop dikhaya sham||
sabki hobardayni,
shakti tumeh parnam|
Chinmastika maat bhvani ,
klikaal mein shubh klyani|
saatiappko ansh diya .
chintapurni naam diya |
charno ki hai leela niyari,
charan ko pooja hr nar nari|
devi devta hai natmastak,
chain n paye bhjey nah jab tak|
shant roop sdah muskata ,
jese dekh anand ahta |
esk aur kaleshwar sajeh ,
dusri aur shivbadi virajey|
teesre aur narayan dev,
chothi aur machkund mahadev|
lakshmi narayan sang virajey,
das avtar ohni mein sajeh|
teeno duwar bhavan ke andher,
beitha brahma ,vishnu wa shanker|
kaali, laskhmi, saraswati maa,
sat ,rj,tum se vyapat huye maa|
hanuman yodha balkari,
maar rahe bhairav kilkaari|
chonsat yogini mangal gavey ,
mridng chehney mahant bjawe |
bhavan ke niche bawde sunder ,
jismein jal behta hai jher jher|
sant arti karey tumari,
tumeh pujtey hai nar nari|
pass hai jiske baag nirala ,
jahan hai pushpo kihai bnmala|
kant apke mala viraje ,
sua sua chola ang sajey |
sing jahan sandhya ko ahta,
chinmastika sheesh nbata |
nikat appke hai gurudwara ,
joh hai guru gobing ka pyara|
ranjeet singh maharaj bnaya ,
tumeh swarn ka chatrr chdaya |
bhav tume se bhakti paya,
patiyala mandir banwaya |
mayedas par kripa karke ,
aye hoshiarpur vichr key|
ahtor chater muglo neh ghera,
pita mayedas neh tehra |
amb chetrr kepass mein aya ,
doh puter kripa se paya |
vansh maye neh fhir pujayea ,
mayedas ko bhakt banwaya |
soh gher uske hai apnaye ,
sewarat hai joh harshaye |
teen arti hai mangalmay,
prat:,madhya aur sandyakaal |
asoj chaiter mela lagta ,
pr savan mein anand bhrta |
paan dwahja nariyal chdayu ,
halwa, chna ka bhoog lagwayu |
chatrr v chuni sheesh chdayo,
mala lehkar tumeh dhyaoo|
mujhko maat vipadh neh ghera,
jai ma jai ma asra tera |
jwala mein se tum tej ho pahte,
nagrkot ki chavi aati|
nainadevi tumeh dehkkr ,
muskate hai tum pr|
abhilasha ma puran kardo ,
hey chintpurni maa jholi bhrr doh |
mmta wali plak dikhadoh,
kam,krodh,madh,lobh mita doh|
sukh dukh toh jivan mein ata ,
tare dya se dukh mit jatey |
chintapurni chintaharni ,
beh nashak ho tum beh harni|
hr wadah ko ap he tala,
es balak ko app sambhao|
tumhara ashirwadh mila jb,
sukh ki kaliya khiley tb |
kahan tak tumari mahima gao,
dwar khada ho vinay sunao|
chintpurni maa mujeh apnao,
‘dass’ ko bhav paar lagwao
Doha:
charan apke chuh raha hu,chintapurni maat |
leela aprmpar hai ,ho jag mein vikhayat ||