कालाष्टमी | Kalashtami :-> मार्गशीर्ष अगहन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है।काल भैरव को अपराधिक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करने वाला माना जाता है। इसलिए कालभैरव की पूजा से शिव का आशीर्वाद मिलता है।
कालाष्टमी | Kalashtami
अपने आसपास की नकारात्मक शक्तियों को खत्म करने के लिए भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। इस दिन काल भैरव की 16 तरीकों से पूजा अर्चना होती है। कॉलभैरव की पूजा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
कालाष्टमी की पूजा रात को की जाती है। रात को चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु भैरव नाथ की जन्म कथा को पढ़कर उनका भजन कीर्तन करते हैं।
कालाष्टमी का व्रत करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन पूजा और उपासना से न केवल निरोगी काया मिलती है, बल्कि कार्यों में सफलता भी प्राप्त होती है।
आइए सुनते हैं कॉल भैरव अष्टमी, भैरव जयंती की कथा कहा जाता है कि इस दिन पूजन करने वाले लोगों को भैरव बाबा की कथा को जरूर सुनना और पढ़ना चाहिए। इसके बाद उनके वाहन काले कुत्ते को भी भोजन अवश्य करवाएं। ऐसा करने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ साथ आर्थिक तंगी से जुझ रहे लोगों को भी राहत मिलती है।
कब है कालअष्टमी 2022
16 नवंबर 2022 को बुधवार