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कबीर के दोहे | Kabir Ke Dohe

  • Bhajan

कबीर के दोहे | Kabir Ke Dohe :->संत कबीर दास की अमृतवाणी सुन कर आपका मन हल्का हो जाएगा और इस जटिल जीवन का सार अपने आप ही समझ आ जाएगा. इन दोहों का अर्थ समझाते समय हमारा प्रयास रहा है कि हम इसे day to day life से जोड़ पाएं और practically इन्हें apply कर पाएं.

कबीर के दोहे | Kabir Ke Dohe

मन मथुरा दिल द्वारिका,काया कासी जाँणी।
दसवाँ द्वार देहुरा, तामें जोति पिछाँणी॥

कबीर दुनियाँ देहुरै,सीस नवाँवण जाइ।
हिरदा भितरि हरि वसैं,तूँ ताही सौं ल्यौ लाइ॥

कर सेती माला ज़पै, हिरदै बहै डंडूल।
पग तौ पाला मै गिल्या, भाजण लागी सूल॥

कर पकरै अंगूरी गिनैं , मन घायै चहुँ ओर।
जांहि फिरांया हरि मिलै ,सो भया काठ की ठौर।।

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