रामचरितमानस की चौपाई | Ramcharitmanas ki chaupai :->यह कुछ रामचरितमानस में सुंदर चौपाईयाँ हैं। रामचरितमानस में चौपाई शैली में बहुत सारी कथाएं और भजन-कीर्तन सम्बन्धित चौपाईयाँ हैं,
जो रामकथा को रचनात्मक और अध्भुत बनाती हैं। इन चौपाईयों को सुनने और पढ़ने से मन और आत्मा में शांति और ध्यान मिलता है। यहां दिए गए चौपाई बस एक छोटा संक्षेप है, आप रामचरितमानस के अन्य अंशों में भी इस अद्भुत काव्य का आनंद उठा सकते हैं।
रामचरितमानस की चौपाई | Ramcharitmanas ki chaupai
दोहा:
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी॥
बालकाण्ड चौपाई:
रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं।
नवकंज लोचन, कञ्ज मुख, कर कञ्ज पद कंजारुणं॥
अयोध्याकांड चौपाई:
जनक सुता देवी ज्याहिं जन्म हरिश्चंद्र कहाहिं।
सदय नहिं ताहिं कहँ न रहउं, कवि कुल इच्छा धराहिं॥
अरण्यकांड चौपाई:
प्रभु मुद्रिका मेखला छाजे। शेषनाग लिए करहिं आजे॥
किष्किंधाकांड चौपाई:
कृपा करहु मोहि परमानंद।
जानत दस हिन्दुबिदित बिस्वास॥
सुंदरकांड चौपाई:
राम द्वारे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
लंकाकांड चौपाई:
सीता राम संग रहिहैं, बसहिं शरण तुम्हारी।
आदिकाल अंतकाल सबें अवधपुरी पारी॥
उत्तरकांड चौपाई:
रामकृपा बिनु सुलभ न सोई। सीता राम के परम पद गोई॥