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Nirjala Ekadashi vrat katha : इस कथा को पढ़ने से होंगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण

निर्जला_एकादशी_|Nirjala_Ekadashi

निर्जला एकादशी | Nirjala Ekadashi vrat katha :–> दोस्तों माना जाता है कि यह कथा पढ़ने से ही आपका निर्जला एकादशी का व्रत पूर्ण होता है अगर इस कथा को आप नहीं पढ़ते हैं तो आपके व्रत का आपको शुभ फल प्राप्त नहीं होगा नीचे दी गई निर्जला एकादशी की व्रत कथा और विधि पढ़ने से ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी इस वर्ष 2023 में 30 मई को निर्जला एकादशी पड़ रही है |

इस देश भक्त भगवान श्रीहरि को साक्षी मानकर बहुत दान करते हैं और खरबूजा पंखा  और जितनी भी ठंडी वस्तुएं होती है उसका दान करके भगवान को रिझाने का प्रयास करते हैं

निर्जला एकादशी | Nirjala Ekadashi vrat katha

भीमसेन बोलै -हे महाबुद्धि पितामह !मरे बात सुनो | युधिस्टर,द्रोपदी ,अर्जुन, नकुल ,नकुल सहदेव यह एकादशी को कभी भोजन नहीं करते ,बह मुझसे नित्य कहा करते है की हे भीमसेन !

तुम एकादशी को भोजन नाह किया करो ,में उनसे कहता हु की हे तात !मुझसे भूख सही नहीं जाती,में दान करुगा और विधिपुरबक केशब का भजन करुगा ,परन्तु बिना उपबास किया बिना एकादशी का फाल कैसे मिले ?

भीमसेन के प्रश्न को सुनकरविशजी बोलै -जो तुमको स्वर्ग अत्यंत प्रिय है और नरक बुरा मालूम होता है तोह दोनों पक्ष की एकादशी को भोजन नहीं करना चाहिए | भीमसेन बोलै – हे महायुद्धे !एक बार भोजन करने से भी मुझसे नहीं रहा जाता फिर उपबास कैसे करुगा |हे महामुने ! बृक नाम का अग्नि सदाह मेरा पेट में रहती है जब में बहुत सा अन्न खाऊँ तब वह शांत होता है |

हे महामुने !में एक उपबास करता हु |जिससे स्वर्ग मिल जाये | उस एक व्रत को में विधिपूर्बक करुगा | इसलिए निषय करके एक व्रत बतलायो जिससे मेरा कल्याण हो |

वियस जी बोलै-नराधिप !तुमने मानव धर्म और वैदिक धर्म सुना है |परन्तु कलयुग में उन धर्मो को करने शक्ति मनुष्य में नहीं है |सरल उपाय, थोड़ा धन और कम परिश्रम में महाफल प्राप्त होने की विधि तुमसे कहता हु |जो की सब पुराणों का सार है |

जो दोनों पक्ष की एकादशी का व्रत करता है वह नर्क में नहीं जाता वियास जी का बचन सुनकर भीमसेन पीपल के पते की तरह कम्पने लगा और डरकर बोलै हे पितामह | में क्या करू ?

में उपबास नहीं कर सकता | इसलिए हे प्रभु ! बहुत फल दायक एक हे व्रत को मुझसे कहिये| वियासजी बोलै की वृषवा मिथुन के सूर्य में ज्येष्ठ मॉस में शुकल पक्ष की एकादशी है उसका यत्नपुर्बक निर्जला उपबास करना चाहिए |

स्नान और आचमन में जल का निषेद नहीं है |माशेबार स्वर्ण का दाना जिसमें डूब जाये उतना हे जल आचमन के लिया कहा गया है |वही शरीर को पवित्र करने वाला है | गो के कान की तरह हाथ करके माशे भर जल पीना चाहिए |

उससे थोड़ा जल पीने से मदिरा पान के समान होता है |और कुछ नाह खाये नहीं तो व्रत भंग हो जाता है |एकादशी सूर्यदेह से दूसरे दिन के सूर्यौदय तक जल पान न करे ऐसा करने से बारह महीने की एकादशी का फल उसको बिना यतन में मिल जाता है |

फिर द्वादशी के दिन निर्मल जल से स्नान करके ब्राह्मण को जल और स्वर्ण का दान करे | फिर व्रत करने वाला कृत-कृत होकर ब्रह्मिनो सहित भोजन करे | हे भीमसेन!इस प्रकार व्रत करने से जो पुण्य होता है उसको सुनो

सुनो साल भर में जितनी एकादशी होती है | उसका फल एक एकादशी के व्रत करने से मिल जाता है |इसमें संदेह नहीं है |

शंक ,चक्र गदाधारी कृष्ण भगवान नेह मुझसे कहा है किसब धर्मो को छोड़ कर मेरी शरण में आयो| एकादशी को निराहार करने से मनुष सब पापो से मुक्त हो जाता है |

कलियुग में द्रब्य दान का से शुद्धि नहीं है |स्मात्र संस्कार में भी सद्गति नहीं होती |इस दुष्ट कलियुग में वैदिक धर्म भी नहीं है |हे वायुपुत्र !बार बार विशेष क्या कहुँ| दोनों पक्ष कि एकादशी को भोजन नाह करे | ज्येष्ठ को शुकल पक्ष कि एकादशी को जो फल मिलता है |

उसे सुनो |सब तिरतो से जो पुण्य मिलता है और सब दान करने से पुण्य फल मिलता है, हे वृकोदर!..वह फल इस एकादशी व्रत करने से मिलता है |

उससे दिन से भीमसेन इस निर्जला एकादशी व्रत किया |तभी इसका नाम भीमसेन से विख्यात हो हो गया है हे भूपाल ! इस प्रकार तुम पापो को दूर करने के लिये तुम भी यतनपुरबक् इसका व्रत और भगवन कि पूजा करो |

हे अनंत ! हे देवेश ! “में आज आपका निर्जला व्रत करुगा और दूसरे दिन भोजन करुगा |”

इस मन्त्र को पढ़कर सब पापो को दूर करने के लिये इंद्रियों को वश में करके श्रदापुरबक व्रत करे |स्त्री अथवा पुरष का समेरुवा मंदराचल पर्वत के समान भी पाप हो तो एकादशी के प्रभाव से नाश हो जाता है |

जो कोई उपबास करके रात्रि के जागरण करते है और निर्जला के दिन अन्न ,गो ,वस्त्र,शया,आसन,कमंडल,छत्र ,पदत्राण इनका सुपात्र को दान देते है ,वह सोने के विमानों में बैठ कर स्वर्गो में जाते है|

मनुष्य सूर्य भक्ति से इस कथा को सुनते अथवा कहते है वे दोनों निसंदेह स्वर्ग को जाते है | मनुष्य को सूर्य ग्रहण में श्राद करनेसे फल मिलता है ,वह इसके सुनने वालो को मिलता है |

दातुन करके इसका नियम करे | में केशव भगवान को प्रसन्न करने के लिये आचमन के के सिवा एकादशी के व्रत में दूसरा जल ग्रहण नहीं करुगा|

दुवादशी के दिन गन्ध, पुष्प ,जल और दीपक में देवताओ के भगवान बामनजी का पूजन करना चाहिए | विधिपूर्बक पूजन करके इस मन्त्र का उच्चारण करे |

हे देवताओ के ईश्वर!हे इंद्रियों के ईश्वर !हे संसार समुन्दर से पर करने वाले जल में भरे हुआ कलश और पंखी को दान करने से मुझको पराम् गति दिज्ये| ऐसा कहकर ब्राह्मण के लिये शक्ति के अनुसार कलश देने चाहिए |

इस प्रकार जो पवित्र और पापो को दूर करने वाली इस एकादसद्धि का व्रत करता है,वह सब पापो से छूटकर पराम् पद को प्राप्त होता है |

Nirjala Ekadashi फलाहारी :

इस दिन कैरी का सागर लेना चाहिए |

(कथा की यहाँ समाप्ति होती है)

ॐ जय जगदीश हरे आरती |Om Jai Jagdish Hare Aarti

निर्जल एकादशी व्रत तिथि:-

31 may 2023

Nirjala Ekadashi फलाहारी :

इस दिन कैरी का सागर लेना चाहिए |

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