संक्रांति क्यों मनाते हैं | सक्रांति क्यों आती है सक्रांति क्या है | साल में कितनी बार आती है सक्रांति| Sagrandh kya hai | sakranti kyu mnate hai | sakranti kya hai
क्यों पड़ता है सक्रांति का प्रभाव | kyon padata hai sakraanti ka prabhaav :-> संक्रमण के अनुसार सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रमण कहलाता है जिसे संक्रांति के रूप में जाना जाता है |
एक राशि पर सूर्य का एकमात्र रहता है यानी एक महीना| जिसे शोर मास कहा गया है जिसे सोरमास कहा गया है इस प्रकार 12 महीने अर्थात 1 वर्ष में 12 बार सूर्य का राशि संक्रमण होता है जिसका प्रभाव मानव जीवन पर अलग-अलग पढ़ ता है|
क्यों पड़ता है सक्रांति का प्रभाव | kyon padata hai sakraanti ka prabhaav
कहा गया है कि सक्रांति के दिन प्रदर्शनी को पक्ष के अंत में नवमी सप्तमी एवं रविवार को बिना आंवला के मर्दन से स्नान करना चाहिए| अन्य दिनों में आमला से स्नान लाभदायक है परंतु ऊपर कह गए दिनों में हानिकारक हो जाता है| रक्त की शुद्धि के लिए नीम के पत्तों का फंक्शन करने का विद्वान आयुर्वेद से प्राप्त होता है|
परंतु सक्रांति के दिन नीम का भक्षण नहीं करना चाहिए| चिंतामणि में लिखा गया है कि एक मशहूर एवं नीम का पत्ता में सक्रांति जब तक रहती है तब तक खाना चाहिए उसको विश्व का भय नहीं होता| मेष की क्रांति में सत्तू का दान एवं घड़ा का दान या जल पिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए और स्वयं भी इसका सेवन करना चाहिए|
इससे पाचन तंत्र पुष्ट होता है और शरीर स्वस्थ रहता है क्रांति के दिन साईं संध्या करने से पिता को कष्ट होता है ऐसे देवी पुराण में आया है|
इस दिन से खरमास की समाप्ति मानी जाती है तथा विवाह आदि शुभ कार्यों का प्रारंभ हो जाता है| गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है|
इस दिन से पीपल वृक्ष के अथवा किसी पृष्ठ के मूल में जलसिंचन समाज का व्यक्ति विशेष के अत्यंत लाभकारी बताया गया है मां को करने वाला होता है इसलिए मीठी खट्टी तथा तले हुए पदार्थ के सेवन से परहेज करना चाहिए| इस प्रकार सक्रांति का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है|