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कबीर के दोहे भजन | Kabir Ke Dohe Song Lyrics 

  • Bhajan

कबीर के दोहे भजन | Kabir Ke Dohe Song Lyrics  :->एक वीर जी के दोहे व्यक्ति के लक्ष्यों को खोलने वाले हैं कृपया इसे ध्यान से पढ़ लिया और अपने अन्य मित्रों के साथ शेयर करें

कबीर के दोहे भजन | Kabir Ke Dohe Song Lyrics 

चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोए*
दुई पाटन के बीच में साबुत बचा न कोई**


देह धरे का दंड है, सब काहू को होय *
ज्ञानी भुगते ज्ञान से, अज्ञानी भुगते रोय**


कबिरा प्याला प्रेम का, अंतर लिया लगाय *
रोम रोम में रमि रहा, और अमल क्या खाय **

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय**


मेरा मुझमैं कछु नाही, जो कछु है सो तेरा*
तेरा तुझको सौंपता, क्या लागै मेरा**


कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई *
अंतरि भीगी आतमा, हरी भई बनराई **


कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर *
जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर**


दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय*
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय **

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय *
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय **

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