Budh Pradosh Vrat katha 2021 :–>बुध प्रदोष करने से बाबा भोलेनाथ की कृपा बरसती है | और यह व्रत करने से सन्तानो को शुभ फाल प्राप्त होता है |धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती |
Budh Pradosh Vrat katha 2021 आरम्ब
प्राचीन काल की एक कथा है एक पुरष का नया नया वियाह हुआ था | वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लिबने के लिए अपने ससुराल पहुंचा और अपनी सास से कहा वह बुधवार के दिन अपनी पत्नी को लेकर अपने नगर जायेगा | उस पुरष के सास ससुर , साला सलियो ने बहुत समझाया की बुधबार के दिन पत्नी को विदा करके ले जाना ठीक नहीं |लेकिन वह पुरष अपनi जिद से टास से मस नहीं हुआ | विवश होकर सास ससुर को अपने जमता और पुत्री को भरी मन से बीड़ा करना पड़ा |
पति पत्नी बैलगाड़ी में चले जह रहे थे| एक नगर के बहार निकलते ही लड़की को पियास लगी| पति लोटा लेकर पत्नी के लिया पानी लेना के लिया गया | पानी लेकर जब वह लोटा तो उसके क्रोध और आशर्य की सीमा नहीं रही|kyuki उस्सकी पत्नी कैसे अन्य पुरष से लाये हुआ लोटे से पानी पीकर हस हस बाते कर रही थी | क्रोध में आग बबूला होकर वह उस आदमी से लड़नी झगड़ने लगा | पर यह देख कर वह हैरान हो गया की उस आदमी की शकल उससे हू ब हू मिल रही है |
हम शकल आदमियों को झगड़ते हुआ काफी देर होगई तो आते जाते लोगो की भीड़ एकता होगई सिपाही भी वहां आगये सिपाही ने उनसे पूछा इन दोनो में से कोनसा आदमी तेरा पति है ,to वह बेचारी असमंजस में पढ़ गई | क्युकी दोनों की शकल एक दूसरे मिलती थी |
बीच राह में अपनी पत्नी को ऐसा लुटा देखकर उस आदमी की आंखे भर आई| वह शंकर भगवन से प्राथना करने लगा की हे भगवन आप मरे और मेरी पत्नी की रक्षा करो | और बोला की हे बाबा मुझसे बड़ी भूल होगई की बुधबार को अपनी पत्नी को विदा करा लाया | भिवष्य में ऐसा अपराध कदापि नहीं करुगा |
उसकी यह प्राथना जैसे पूरी हुई वह दूसरा पुरष अंतर्धयान हो गया और वह पुरष सकुशल अपनी पत्नी के साथ अपनी घेर पहुंच गया | उस दिन के बाद दोनों पति पत्नी बुध प्रदाह व्रत रखने लगे |
बुध प्रदाह व्रत करने का नियम:
- इस व्रत में केवल दिन में एक बार भोजन करना चाहिए |
- इसमें हरी वस्तुओं का प्रयोग किया जाना जरूरी है |
- यह शंकर भगवन का व्रत है शंकर जी की पूजा धुप , बेलपत्र , अक्क , धतूरा , पांचामृत , फूल चन्दन आदि की जाते है |
- व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।
- अगले दिन व्रत का पारण करें।