बाबा बालकनाथ चालीसा | Baba balak nath chalisa —>सिद्ध बाबा बालक नाथ जी, जिन्हें पौनहारी या दूधाधारी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू भगवान हैं। उन्हें कलियुग में कार्तिकेय के अवतार के रूप में जाना जाता है। बाबा बालक नाथ जी और भगवान शिव के दिव्य आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए हर दिन देवी बाबा बालक नाथ जी चालीसा का पाठ और जप करें।
बाबा बालकनाथ चालीसा | Baba balak nath chalisa
॥दोहा॥
गुरु चरणों में सीस धर करूँ प्रथम प्रणाम
बख्शो मुझको बाहुबल, सेव करूँ निष्काम
रोम रोम में रम रहा, रूप तुम्हारा नाथ
दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ
॥चौपाई॥
जय बाबा बालक नाथ जय दया के सागरजय जय भक्त ज्ञान उजागर |
शांत शवी मूरत अति पियारी अंग भिभूत दिगबर धारा ||
हाथ में झोली चिमटा विराजेबाल सुनहरी शवी अति साजे |
गोऊ विप्रन के तुम रखवारे दुष्ट निकंदन उमा दुलारे ||
तीनो लोक की बात को जानो तीन काल क्षण में पहचानो |
तेरो नाम है जग में पियारा तीनो ताप निवारण हारा ||
नाम तुम्हारा जग में साँचा सुरिमत भक्त भूत पिशाचा |
राक्षिश यश योगिनी भागे तुम्हारे चिंतन भै नहीं लागे ||
विप्र विष्णु जी पिता तुम्हारे लक्ष्मी जी की आँख के तारे |
छोड़ सबी माया संसारी स्वामी हुए बाल ब्रह्मचारी ||
शाह तलाईआं गायें चराई पौनाहारी छवि दिखलाई |
नित प्रीत वन में गायें चराते गोऊ विप्रन का दुःख मिटाते ||
इहे भांति बीते कछु काला आए दतातरे कृपाला |
आतम ज्ञान को साक्षी जाना गुरु देव अपनों पहचाना ||
तब पर्वत गिरिनार पे आए गुरु सेवा में मन लगाए |
पूरण जान गुरु अवसर पाये ऋषि मुनि ज्ञानी बुलवाये ||
सिद्ध साध जोगी सब आए द्वारे आ कर अलख जगाये |
तब लक्ष्मी पुत्र बुलवाया दुधाधारी नाम रखाया ||
सुम्रित पूरण हुई तपस्या गुरु प्रसन्न हो दीन्ही दीक्षा |
वर्षे पूषप दुनंद्वी बाजे सुम्रित नाम सबी दुःख भागे ||
नाम तुम्हारा सब सुख दाता भक्तों के सब कष्ट मिटाता |
नारद सारद सहित अहिंसा देवता आए दीन्ही असीसां ||
रिधि सिधि नवनिधि के दाता असवार दीन पार्वती माता |
सदा रहो शंकर के दासा पूरण कीजो सब की आसा ||
शिखर महेन्दर पर्वत आए बाराह वर्ष समादी लगाए |
वहाँ पार किन्ही घोर तपस्या प्राणी मातृ की किन्ही रक्षा ||
इन्द्र लेने परिक्षा आयो मानी हार चरनन सिर नायो |
जगदम्बा नब दर्शन दीना गोद बिठाये आशीष दीना ||
अजर अमर तुम सब हो जायो सब दुखीयों के कष्ट मिटायो |
सुमिरन करो यहाँ भी बेटा शिव को पायो शक्ति समता ||
आए शाह तलाईआं देवा गोऊ विप्रन की किन्ही सेवा |
पिछले जनम की याद जो आई माँ रतनो की गायें चराई ||
गोरख लेने परीक्षा आयो मानी हार भरथरी पैठाओ |
बाराह साल सेवा थी कीनी रतनो ने पहचान न कीनी ||
झूठ उलाहन दीया था जाकर बालक रूठ गए यह सुन कर |
खेत दिखाए हरे भरे सब रोटी लस्सी बहीं धरी सब ||
धोलगिरी पर्वत पार आए राक्षिश मार गुफा में धाए |
श्रद्धा सहित जो रोट चढाये मन वांछित फल तुरंत ही पावे ||
जो यह पड़े बालक चालीसा हो सिधि साखी गोरीसा |
सेवक हो चरनन का दासा कीजे नाथ हृदय में वासा ||