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Guru Purnima 2023 : जानेे व्रत कथा,आरती ,शुभ महूरत इत्यादि

गुरु पूर्णिमा | Guru Purnima 2023 :->गुरु पूर्णिमा हर साल में वह दिन होता है जिस दिन भक्त अपने अपने गुरु जनो की पूजा अर्चना करते है है |मान्यता है इस दिन भगवन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था |भगवन वेदव्यास जी बहुत से वेदो और पुराणों के रचिता है | इस दिन दिन ही बहुत से लोग अपनी श्रद्धा निमत गुरु जनो से नाम से दीक्षित होता है |यह नाम ही है जो की गुरु के दिव्य मुख से निकलर मनुष्य को सम्पूर्ण भक्त बनाता है गुरु ही है जो व्यक्ति को भवसागर पार उतार ते है |गुरु बिना ज्ञान नाह गुरु बिना गति नहीं |

Guru Purnima Date: Monday, 3 July 2023 | आइये इस संदर्ब में कुछ में पूजा शुभ महूरत ,कथा ,मन्त्र इत्यादि पढ़ते है |

गुरु पूर्णिमा | Guru Purnima 2023

पौराणिक कथा के अनुसार, वेदव्यास भगवान विष्णु के अंश स्वरूप कलावतार हैं। इनके पिता का नाम ऋषि पराशर था। जबकि माता का नाम सत्यवती था। वेद ऋषि को बाल्यकाल से ही अध्यात्म में रुचि थी। इसके फलस्वरूप इन्होंने अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा प्रकट की और वन में जाकर तपस्या करने की अनुमति मांगी, लेकिन उनकी माता ने वेद ऋषि की इच्छा को ठुकरा दिया।

तब इन्होंने हठ कर लिया, जिसके बाद माता ने वन जाने की आज्ञा दे दी। उस समय वेद व्यास के माता ने उनसे कहा कि जब गृह का स्मरण आए तो लौट आना। इसके बाद वेदव्यास तपस्या हेतु वन चले गए और वन में जाकर कठिन तपस्या की। इसके पुण्य प्रताप से वेदव्यास को संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई।

इसके बाद इन्होंने वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराणों सहित ब्रह्मसूत्र की भी रचना की। इन्हें बादरायण भी कहा जाता है। वेदव्यास को अमरता का वरदान प्राप्त है।तत्प्रय: आज भी वेदव्यास किसी न किसी रूप में हमारे बीच उपस्थित हैं।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि:

इस पावन दिन भक्त सुबह ब्रह्माहर्त उठकर गंगा जल शनान इत्यादि साफ़ सूंदर आसान ग्रहण कर बैठ जाये |फिर गुरु जी की तस्वीर एक सूंदर स्थान में रखे और फिर यह भाव को महसूस क्र यह सोचो गुरु मरे संग है

“गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं। “

फिर गुरु जी की तस्वीर रख उनकी पूजा जल, फल, फूल, दूर्वा, अक्षत, धूप-दीप आदि से करें।अंत आरती कर उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

गुरु पूर्णिमा आरती

जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥

जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की।

अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥

भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया,
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण,
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

आरती करूं सद्गुरु की
प्यारे गुरुवर की आरती, आरती करूं गुरुवर की।

निष्कर्ष :- गुरु पूर्णिमा एक बहुत ही सुबह दिन है जोह गुरु से दीक्षित है है और जो दीक्षित होने वाले है | क्युकि गुरु एक मात्र सहारा है जो आत्मा का परमात्मा का मिलान कराते है | गुरु मानना आसान है लेकिन गुरु के बिताया होये पथ पे चलन्ना कठिन है | सो व्यक्ति को चाहिए जो गुरु कहे उस बात की पालना पूरे मैं से करना चाहिए | अब हमारे तरफ से सभी गुरु प्रेमी को गुरु पूर्णिमा 2021 ,23 जुलाई की बहुत शुभ कामनाय |

Guru Purnima kab hai 2023 mein?

Guru Purnima Date: Monday, 3 July 2023

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