Skip to content
Home » उठ जाग मुसाफिर भोर भई | Uth Jag Musafir Bhor Bhai

उठ जाग मुसाफिर भोर भई | Uth Jag Musafir Bhor Bhai

  • Bhajan

उठ जाग मुसाफिर भोर भई | Uth Jag Musafir Bhor Bhai :->यह सुंदर bhajan भक्ति भावना को बढ़ाने वाला है | कृपया ऐसे भजन के अपने  अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें धन्यवाद|

उठ जाग मुसाफिर भोर भई | Uth Jag Musafir Bhor Bhai

उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है
जो जागत है सोई पावत है **

उठ नींद से अखियाँ खोल जरा
और अपने प्रभु में ध्यान लगा ।
यह प्रीत करन की रीत नहीं
प्रभु जागत है तू सोवत है **

उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है
जो जगत है सोई पावत है **

जो कल करना सो आज कर ले
जो आज करे सो अब कर ले ।
जब चिड़िया ने चुग खेत लिया
फिर पछताए क्या होवत है **

उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है
जो जगत है सोई पावत है **

नादान भुगत अपनी करनी
ऐ पापी पाप में चैन कहाँ ।
जब पाप की गठड़ी शीश धरी
अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है **

उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है
जो जगत है सोई पावत है **

Recent Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!