श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग | Shree Ghushmeshwar Jyotivling :->द्वादश ज्योतिर्लिंग ओ में अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इसे अन्य नामों से भी पुकारा जाता है जैसे कि कुछ मेश्वर। जय महाराष्ट्र प्रदेश में दौलत बाद में से 12 मील दूर बेरूला गांव के पास अवस्थित है।
श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग | Shree Ghushmeshwar Jyotivling
इस ज्योतिर्लिंग के विषय में पुराणों में है कथा दी गई है। दक्षिण देश में देव गिरी पर्वत के निकट सुधर्मा नामक एक अत्यंत तेजस्वी तक ऑनेस्ट ब्राह्मण रहता था। की पत्नी का नाम सुने हाथा। दोनों में परस्पर बहुत प्रेम था। किसी प्रकार का कोई कष्ट उन्हें नहीं आता था। उनके कोई संतान नहीं थी।
ज्योतिष गणना से पता चला कि सुबह आके गर्व से संतानोत्पत्ति हो ही नहीं सकती। देहात संतान की बहुत इच्छुक थी। उसने आग्रह करके तो धर्मा का दूसरा विवाह अपनी छोटी बहन से करवा दिया। पहले तो ब्राह्मण देवता को यह बात नहीं देखी। अंत में उन्हें तकनीकी क्षेत्र के आगे झुकना ही पड़ा। उसका आग्रह टाल नहीं पाए। वे अपनी पत्नी की छोटी बहन को सीमा को विवाह कर घर ले आए।
अत्यंत विनीत और सदाचार निकली थी। शिवजी की अनन्य भक्त थी। 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर हृदय की सच्ची निष्ठा के साथ उनकी पूजा करती थी। भगवान शिव जी की कृपा से थोड़े ही दिन बाद उसके घर से अत्यंत सुंदर और स्वस्थ बालक ने जन्म लिया। बच्चे के जन्म से सुधार और पुष्पा दोनों की ही कलंद का पार ना रहा। दोनों के दिल बड़े आराम से बीत रहे थे।
लेकिन ना जाने कैसे थोड़े ही दिनों बाद सुबेहा के मन में एक विचार ने जन्म ले लिया? पैसों से लगी मेरा तो इस घर में कुछ भी नहीं है। सब कुछ पुष्पा का है। मेरे पति पर भी उसने अधिकार जमा लिया। सुल्तान भी उसी की है। विचार धीरे-धीरे उसके मन में भरने लगा। इधर ऊष्मा वह बालक भी बड़ा हो रहा था। धीरे-धीरे बेजुबान हो गया। उसका विवाह भी हो गया।
अब तक सुधर्मा के मालिका पुलिस आरोपी अंकुर एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका था। कांता एक दिन उसने घोषणा के युवा पुत्र को रात में सोते समय मार डाला। उसके शव को ले जाकर उसने उसी तालाब में फेंक दिया जिसमें घोषणा पर 35 शिवलिंग शिवलिंग को को देखा करती थी। सुबह होते ही सब को इस बात का पता लगा पूरे घर में कोहराम मच गया।
धर्मा और उसकी पुत्रवधू दोनों सिर पीटकर फूट-फूट कर रोने लगे। लेकिन कुछ मांगते कि भारतीय भगवान शिव की अराधना में चली नहीं। जैसे ही कुछ हुआ कि नहीं हुआ हो। पूजा समाप्त करने के बाद वह पार्थिव शिवलिंग को को तलाब में जोड़ने के लिए चल पड़ी। जब मैं तलाब से लौटने उसी समय उसका प्यारा लाल तलाक के भीतर से निकल कर आता हुआ दिखला ही पड़ा।
सदा की भांति आकर घोषणा के चरणों पर गिर पड़ा। कहीं आस-पास से ही घूम कर आ रहा हूं। उसी समय भगवान शिव विवाह प्रकट होकर घोषणा से वर मांगने के लिए कहने लगे। वैष्णो देहाती घिनौनी करतूत के अत्यंत क्रूर हो उठे। अपने ससुर द्वारा उसका कलाकार थे लगे उधर दिखलाई दे रहे थे। उस्मान हाथ जोड़कर भगवान शिव से कहा प्रभु।
मुझ पर प्रसन्न है तो मेरी उसका भाग इन बहन को जमा कर दें। यदि उसने अत्यंत जगन अनुपात किया है किंतु आप की दया से मुझे मेरे पुत्र वापस मिल गया। अब आप उसे क्षमा कर करें और प्रभु मेरी एक प्रार्थना और है। लोक कल्याण के लिए आप इस स्थान पर सदा सर्वदा के लिए निवास करें। भगवान शिव ने पुष्टि की है दोनों बातें स्वीकार करें।
ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर गए वहीं निवास करने लगे। सती शिव भक्त सुषमा के आराध्य होने के कारण मैं यहां कुछ बेहतर महादेव के नाम से विख्यात है। कुछ मेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा पुराणों में बहुत विस्तार से वर्णित की गई है। उनका दर्शन लोक परलोक दोनों के लिए अमोघ फलदाई है।