शिवमानसपूजा स्तोत्र | Shivmanas Pooja Stotram :–> यह एक भक्त द्वारा प्रार्थना के रूप में होता है जो अपने मन में पूजा में निर्धारित सभी प्रसाद और अनुष्ठानों की कल्पना करता है और उन्हें भगवान शिव को विश्वास और भक्ति के साथ प्रदान करता है।
यह स्तोत्र उन लोगों के लिए एक आंख खोलने वाला है जो अनुष्ठानों के प्रति कट्टर हैं क्योंकि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि विश्वास और इरादे अधिक महत्वपूर्ण हैं!
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शिवमानसपूजा स्तोत्र | Shivmanas Pooja Stotram
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्न विभूषितं मृगमदा मोदाङ्कितं चन्दनम् ।
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम् ॥ 1 ॥
सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूर खण्डोज्ज्चलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ॥ 2 ॥
छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणा भेरि मृदङ्ग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा ।
साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुति-र्बहुविधा-ह्येतत्-समस्तं मया
सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ॥ 3 ॥
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोग-रचना निद्रा समाधिस्थितिः ।
सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ॥ 4 ॥
कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवण नयनजं वा मानसं वापराधम् ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्-क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥ 5 ॥
Shivmanas Pooja Stotram in English
Ratnaih Kalpitam-Aasanam Hima-Jalaih Snaanam Ca Divya-Ambaram
Naanaa-Ratna-Vibhuussitam Mrga-Madaa-Moda-Angkitam Candanam |
Jaatii-Campaka-Bilva-Patra-Racitam Pusspam Ca Dhuupam Tathaa
Diipam Deva Dayaa-Nidhe Pashupate Hrt-Kalpitam Grhyataam ||1||
Sauvarnne Nava-Ratna-Khanndda-Racite Paatre Ghrtam Paayasam
Bhakssyam Pan.ca-Vidham Payo-Dadhi-Yutam Rambhaa-Phalam Paanakam |
Shaakaanaam-Ayutam Jalam Rucikaram Karpuura-Khannddo[a-U]jjvalam
Taambuulam Manasaa Mayaa Viracitam Bhaktyaa Prabho Sviikuru ||2||
Chatram Caamarayor-Yugam Vyajanakam Ca-Adarshakam Nirmalam
Viinnaa-Bheri-Mrdangga-Kaahala-Kalaa Giitam Ca Nrtyam Tathaa |
Saassttaanggam Prannatih Stutir-Bahu-Vidhaa Hye[i-E]tat-Samastam Mayaa
Sangkalpena Samarpitam Tava Vibho Puujaam Grhaanna Prabho ||3||
Aatmaa Tvam Girijaa Matih Sahacaraah Praannaah Shariiram Grham
Puujaa Te Vissayo[a-U]pabhoga-Racanaa Nidraa Samaadhi-Sthitih |
San.caarah Padayoh Pradakssinna-Vidhih Stotraanni Sarvaa Giro
Yad-Yat-Karma Karomi Tat-Tad-Akhilam Shambho Tava-Araadhanam ||4||
Kara-Caranna-Krtam Vaak-Kaaya-Jam Karma-Jam Vaa
Shravanna-Nayana-Jam Vaa Maanasam Va-Aparaadham |
Vihitam-Avihitam Vaa Sarvam-Etat-Kssamasva
Shivmanas Pooja Stotram pdf
शिव मानस पूजा श्रेष्ठ विधी
ग्रंथों में भगवान की पूजा को अधिक फलदायी बनाने मन शुद्धि के लिए अनेक विधान बनाए गए हैं। उन्हीं में से एक श्रेष्ठ विधी है- “शिव मानस पूजा” अर्थात् मन से भगवान की पूजा।
आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव मानस पूजा शिव की एक अनूठी स्तुति है। इस स्तुति में मात्र कल्पना से शिव को सामग्री अर्पित की गई है और पुराण कहते हैं कि साक्षात शिव ने इस पूजा को स्वीकार किया था।
यह स्तुति भगवान भोलेनाथ की महान उदारता को प्रस्तुत करती है। इस स्तुति को पढ़ते हुए भक्तों द्वारा शिवशंकर को श्रद्धापूर्वक मानसिक रूप से समस्त पंचामृत दिव्य सामग्री समर्पित की जाती है। हम कल्पना में ही उन्हें रत्नजडित सिहांसन पर आसीन करते हैं, दिव्य वस्त्र, भोजन तथा आभूषण आदि अर्पण करते हैं।