माता नैना देवी मंदिर | Mata Naina Devi Mandir :–>ऊना से 60 किमी. एवं भाकड़ानंगल से किमी. की दूरी पर नैना देवी का महान सिद्ध शक्तिपीठ है| इस स्थान पर माता सती के दोनों नेत्र गिरे थे| भूतल से 570 सीढ़िया चढ़कर भक्त मंदिर पहुंचते है |
श्री नैना देवी का मंदिर के शिखर शैली से बना है|जिसके आगे गोविंदीअ मंडप निर्मित है |मंदिर के द्वार चांदी के पत्रों से निर्मत है |जिन पर भीं भीं देवी देवता के चित्र निर्मित है गर्वग्रह में एक पीठिका पर पत्थर की तीन मुर्तिया है |
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नैना देवी माता की मूल मूर्ति –
श्री नैना देवी की मूल मूर्ति के रूप में मध्य में प्रतिष्ठित है | जिसमे दो नैन बने है | इसके दाई और बड़े आकर में एक दूसरी मूर्तिशिला है |इस मूर्तिशाला में भी नयन युगल बनाये गए है |
8बी. शताब्दी में बिलासपुर के चन्द्रवंसी राजा वीरसिंघ ने सबसे पहला इस स्थान पर माता का मंदिर बनबाया था| यहाँ साल में तीन मेला लगते है |इसमें सावन ,शुकुल और अष्टमी वाले विशेष रूप में प्रसिद्ध है
यहाँ तीन स्थल और भी है जो की दर्शनीय है जो की ब्रह्म कुंड ,भ्राह्मकपाली और प्राचीन गुफा के नाम से विख्यात है |
कब होती है माँ नैना देवी की आरती –
माता नैना देवी मंदिर | Mata Naina Devi Mandir
देवी मंदिर में प्रात 4 बजे मंगल आरती होते है |6 बजे सिंगार आरती ,12 बजे मधय आरती , सांयकाल 6 :30 , और रात 9:30 बजे शयन आरती होते है |
माता नैना देवी का संचालन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है ट्रस्ट द्वारा दो शिक्षा संस्थान,दवाई वितरण , दो यात्री निवास , चार धर्मशाला ,लंगर भवन संचालित किया जा रहा है |
मंदिर में पुजारी और कर्मचारी की कुल संख्या –
कुल 200 पुजारी है माता के सिद्ध पीठ पर और 197 कर्मचारी कार्यरत है |फाल फूल ावें प्रसाद की लगभग 450 दुकाने है |नैना देवी माता के मंदिर का क्षेत्रफल 1200 वर्गमीटर है |
माता नैना देवी मंदिर | Mata Naina Devi Mandir(श्रदालो को अनुमान )-
सामान्य दिनों में 2000 ,शनिवार ,रविवार ,मंगलवार को 4 – 5 हज़ार ,तीन नवरात्रो में 5 लाख एवं प्रतिबर्ष २०-२२ लाख भक्तगण माता रानी का दर्शन करते है |
मार्ग परिचय :-
बिलासपुर से चिंतपूर्णी 105 किमी ,
ज्वालाजी 122 किमी ,
ऊना 110 काँगड़ा 150 किमी
चंडीगढ़ 135 किमी
दिल्ली 390 किमी दूर है |
निकटतम रेलवे स्टेशन किरतपुर साहिब एवं हवाएं अड़ा जब्बर हट्टी शिमला है |