लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी | Latthe Di Chadar Utte Saleti Lyrics :->लेठे दी चादर लोक संगीत शैली के अंतर्गत आता है और यह एक बहुत लोकप्रिय पंजाबी विवाह गीत है। यह गाना पंजाबी शादियों और अन्य कार्यक्रमों जैसे लेडीज संगीत आदि में गाया जाता है। यह मजेदार और शरारती गाना एक लड़की के बारे में बात करता है, जिसे ग्रे सूती कपड़ों में एक लड़का मिलता है – वह उससे अपने पास आने और खुद को दिखाने के लिए कहती है, न कि गुस्से में उसके पास से गुजरने के लिए। .
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी | Latthe Di Chadar Utte Saleti Lyrics
उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया||
चन्ना कंदा तूं मरिया अख वे
साडे आटे दे विच हथ वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया||
चन्ना वेख के न साडे वाल हस वे
साडी माँ पइ करेंदिये ए शक वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया||
गल्लां गोरियां ते काला काला तिल वे
सन्नू अज पिछवाड़े मिल वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
गल्लां गोरियां ते काला काला तिल वे
साड़ा कड़ के लेगया दिल वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
तेरी माँ ने चाडया साग वे
असां मंग्या ते मिलया जवाब वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया
तेरी माँ ने चाड़ियाँ ए गंदालां
असां मंगियाँ ते पैगयिया दंदलान अनवां
लट्ठे दी चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया
उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया||
चन्ना कंदा तूं मरिया अख वे
साडे आटे दे विच हथ वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया||
चन्ना वेख के न साडे वाल हस वे
साडी माँ पइ करेंदिये ए शक वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया||
गल्लां गोरियां ते काला काला तिल वे
सन्नू अज पिछवाड़े मिल वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
गल्लां गोरियां ते काला काला तिल वे
साड़ा कड़ के लेगया दिल वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
तेरी माँ ने चाडया साग वे
असां मंग्या ते मिलया जवाब वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
तेरी माँ ने चाड़ियाँ ए गंदालां
असां मंगियाँ ते पैगयिया दंदलान अनवां
लट्ठे दी चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
तेरी माँ ने चेद्य ए खीर वे
अस्सां मांगी ते पैगई पीढ वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
साड़े दिल विच की की वासियां
न तूं पुछियाँ ते न असी दसियाँ
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया
तेरी माँ ने चेद्य ए खीर वे
अस्सां मांगी ते पैगई पीढ वे
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया||
साड़े दिल विच की की वासियां
न तूं पुछियाँ ते न असी दसियाँ
लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया ||