कलयुग की शुरुआत कैसे हुई| kalyug ki shuruwat kaise hoye |-कलयुग का आरम्ब महाराजा परीक्षित की एक भूल से हुआ था | राजा परीक्षित बहुत ही धर्मी राजा थे| उनके रहता सम्भब नहीं था की कलयुग का अहगमान हो सके |
कलयुग नेह बहुत सा यतन किया जिस में आखिर का वह सफल हो ही गया| इस पूरी कथा को आगे हम आर्टिकल में पड़ते है |
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कलयुग की शुरुआत कैसे हुई| kalyug ki shuruwat kaise hoye |
1.राजा परीक्षित ने जनम कैसे लिया(raja prikshit neh jnam kaise liya ):-
राजा परीक्षित अर्जुन के बेटे अभिमन्यु और उतरा के पुत्र थे।| अश्वधामा चाहता था की पांडवो का वंश ही समाप्त करदे और उसने राजा परिक्षित को गरब में ही मारने का यतन किया लेकिन वह उसमें असफल रहा ।
द्रोपती को जब पता चला उसके पांचो पुत्रों की हत्या अश्वधामा नेह कर दी है । तब उसने आमरण अनशन ग्रहण कर लिया और यह प्रण किया बह तभी अनशन तोड़ेगी जब अश्वधामा के सर रहने वाले मणि लेयकर दोगे।
अर्जुन अश्वधामा को पकड़ने निकल पड़े |उनके विच विशन युद्ध चिढ गया ।अश्वधामा ने अर्जुन पर ब्रह्मअस्त्र का बार किया तभी अर्जुन ने भी ब्रह्मअस्त्र छोड़ दिया | पर नारद जी कहने से अर्जुन ने वह अस्त्र वापिस ले लिया |
किन्तु अश्वधामा ने पांडवो को जड़ मूल से ख़तम करने के लिया ।अभिमन्यु की गर्ब्वती पत्नी उतरा पर ब्रह्मास्त्र का बार किया |
तब कृष्ण जी ने कहा की उतरा को परीक्षित नमक पुत्र का वर है वह अवश्य ही जनम लेगा और अगर तेरा ब्रह्मास्त्र के कारन वह मृत हुआ तोह बी में उसे पुनर जीवत कर दुगा और वह भूमि का सम्राट होगा|
और जब ब्रह्मास्त्र के तेज उतरा के गर्व में बालक दग्ध होने लगा । तब श्री कृष्ण ने उतरा के गरब में प्रवेश किया और उस गरब की रक्षा की जैसे सूरज अंधकार का विनाश करता है उसी प्रकार कृष्ण जी ने उस ब्रह्मस्त्र के असर को ख़तम कर दिया |
कुछ समय बाद कृष्ण जी एवं पांडवो की अनुपस्तिथयो में परीक्षित जी ने जनम लिया | लेकिन जनम पश्चात वह बालक मृत हो गया | और सभी तरफ रुदन होने लगा क्युकी कुरुवंश को पिंड दान करने वाला यह एक थ वह वी नहीं रहा | यह समाचार जब भगवान श्री कृष्ण जी नेह सुना तब तुरंत लोट आय |
तभी श्री कृष्ण जी ने सभी को सांत्वना देता हुए उतरा से कहा मैंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला और मेंने प्रतिज्ञा की थी ।
वह में पूरी करुगा अगर मैंने इस बालक की रक्षा गर्व में की है तो अभ कैसे मरने नहीं दुगा ।
तभी कृष्ण जी नेह अपने अमृत मई तृष्टि उस बालक पर डाली और बोला |अगर मेंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला , और कभी युद्ध में पीठ नहीं दिखाई और में कभी भूल से व अधर्म नहीं किया है ।
तो अभिमन्यु का ये मृत बालक अभी जीवत होजाय । यह सुनते वह बालक जीवत होगया अथवा रोना लगा और हर तरफ खुसी की लहर दौड़ गई , और हैरान होगये |
तभी हर तरफ भगवान श्री कृष्ण की जय जय कर गूंज उठने लगे ।इस तरह राजा परीक्षित का जनम हुआ तमाम कठनाईयो के बाद |
2.कलयुग क्यों आया धरती पर(kalyug kyu ayea dharti per):-
क्या आप नेह सोचा है ऐसे क्या कारन रहे होंगे की जिस वजह से कलयुग को धरती पर आना पड़ा | महाभारत की समाप्ति के बाद दुप्रयुग की समाप्ति के दिन व् नज़दीक आ रहे थे |
तब पांडवो का मन इतना रंच और अहिंसा के बाद धरती पर नहीं लग रहा था | तब ओहने सब कुछ तियाग मोक्ष यात्रा जाने का निर्णेय किया | तब वह अपना सारा राजपाट अर्जुन के पौत्र परीक्षित को सौंप सम्राट घोषित किया |
अब धरती पर राजा परीक्षित का राज था | जोह की धर्म की रह पर चल क्रर अचे से राजपथ चलने का प्रयास कर रहे थे |
फिर एक दिन सरस्वती नदी के किनारे धर्म बैल का रूप लेकर और गौ माता का रूप धारण कर पृथ्वी देवी आपस में बरतालाप कर रहे थी| गौ के रूप में बैठी पृथ्वी देवी की अँकोह में आंसू बह रहे थे|
पृत्वी को दुखी देख धर्म रुपी बैल नेह पूछा देवी क्या तुम यह देख के तोह नहीं गबरा गई की मेरा सिर्फ यह एक ही पेर है या इस बात से दुखी हो की अभ से तुम्हारे ऊपर बुरी ताकतों का प्रभाब होगा |
तब पृत्वी बोली हे धर्म तुम तोह सब जानते हो | की सत्य ,मित्रता ,ज्ञान , वराग्य,दया ,धर्म ,शास्त्र अदि के स्वामी भगवन श्री कृष्ण बेहकुंठ चले गई है और कलयुग नेह मुझ पर कब्ज़ा कर लिया है |अब मेरा सोभागय समाप्त हो गया है
जब यह दोनों आपस में बात कर ही रहे था |उसी वक़्त कलयुग वहां आगया और वह दोनों को मरने लगा |उसी वक़्त राजा परीक्षित वहां यह पोहंचे उह्नोने देखा और बोलै तू क्यों इन मासूम को मार रहा है तेरा अपराध शमा योग्य नहीं | तेरी मौत निश्त है |
घुसे में आकर राजा नेह तलवार निकल रहे जिसे देख कलयुग दर गया और अपने असली रूप में प्रकट होगया | यह कहने लगा की मुझे श्मा किजये में आपकी शरण आया हु | यह देख राजा के मन में दया यह गई और बोलै अब तू यहाँ से जा |
तब बड़ी चतुराई से कलयुग बोलै की महाराज की इस पूरी दुनिया पर आप का स्थान है | क्या मुझ को कही रहने के लिया जगह नहीं मिल सकती |
राजा परीक्षित बोलै की तुम काम , क्रोध ,लोभ ,मोह में बास करो |कलयुग बड़ी चतुराई से बोलै की महाराज यह स्थान प्राप्त नहीं है
तब दया भाव वाले राजा परीक्षित बोलै तुम अन्य स्वर्ण में व् वास् कर सकते हो|
बस इतना सुनते ही कलयुग अदरीश होकर राजा के स्वर्ण मुकट पर बैठ गया और फिर बस ऐसे तरह से कलयुग का अहगमन हुआ |उसके बाद कलयुग न राजा परीक्षित के मस्तक पर सवार होकर के घोर अपराध करवा दिया और राजा ने एक ऋषि के गले पर मृत सर्प रख दिया जिस पार क्रोदित हो ऋषि के पुत्र के राजा परिखित श्राप दिया |जिसका वजह से राजा की मृत्यु होगये और कलियुग आरम्ब का पूरा वर्णन आगे किसी कथा में करेंगे |
3.क्या होगा कलयुग में (kya hoga kalyug mein):-
मारकंडे पुराण के अनुसार कलयुग के शाहषक मनमानी ढंग से जनता पर राज करेंगे, शाषक अपने राज में धर्म की जगह डर्र अथवा भह का प्रचार करोगे | लोग सस्ती चीज़ो की तलाश में घेर छोड़ जाने शुरू हो जायेंगे |
धर्म को नज़र अंदाज़ कर लालच ,झूठ और कपट सब के दिमाग के ऊपर हावी रहेगा l लोग बिना किसी पछाताप दुसरो के खून के प्यासे होंगे |
सम्भोग हे जीवन के सबसे बड़े जरुरत बन जायगी | लोग बहुत जल्दी कस्मे खा कर उसे तोड़ बी देंगे | लोग मदिरापान करेंगे | गुरुओ का सामान करने की परम्परा ख़तम हो जाएगी ,ब्राह्मण ज्ञानी नहीं रहेंगे,क्षत्रियो का साहस ख़तम हो जायेगा और वैश अपने कारोबार में ईमानदार नहीं रहेंगे |
यह सभी चीज़ो का वर्णन मारकंडे पुराण में किया है |
4.कलयुग कि कितने उम्र(kalyug ki kitne umer ):-
कलयुग के उम्र सभी युगो में सब से कम है
- सतयुग की उम्र-17 lakh 28 hazaar
- त्रेता की उम्र– 12 lakh 96 hazaar
- दोहपर युग की उम्र– 8 lakh 64 hazaar
- कलयुग की उम्र-4 lakh 32 hazaar वर्ष है
5.कलयुग कि अर्थ(kalyug ka arth):-
कलयुग कि अर्थ है काली की आयु ,अंधकार कि युग , उपदुःख की उम्र यह झगडे यह पाखंड की उम्र होती है | अधिकतर विद्वानों के अनुसार कलियुग कि पराम्ब 3 हज़ार 102 इसापुर में हुआ था | जब पांच गृह मंगल,बुध ,शुक्र ,ब्रस्पति और शनि मेष राशि पर 0 डिग्री पर आ गए थे गणना की जाये तोह कलियुग 5 hazaar 122 वर्ष बीत गए है और 4 लाख 26 हज़ार 882 वर्ष अभी बाकि हैं|
कलयुग की शुरुआत कैसे हुई| kalyug ki shuruwat kaise hoye |
निष्कर्ष:-
कलियुग में मनुष्य की ऊंचाई 5 फ़ीट 5 इंच होगी | इस युग में धर्म एक तिहाई रह जाता हैं |इस युग में पाप की मात्रा 75 प्रतिशत तथा पूण की मात्रा 25 प्रतिशत होगी | कुल मिलाकर अभी तोह आरम्ब ही हैं| अभी तोह घोर कलियुग आने वाला हैं | सत्य तोह भगवान क नाम ही हैं जिस के सहारा भबसागर पार उतर सकते है | कलियुग से बचने के लिए बस धरम का रास्ता ही पकडना चाहिए |