यह एक प्रसिद्ध कथा है श्री हनुमान जी जानकी की मांग में सिंदूर लगा देखकर हनुमान जी ने आश्चर्य पूरब पूछा यह लाल रंग का सिंदूर आप क्यों लगा रहे हैं |जानकी जी ने हनुमान की सीधी साधी बातों प्रसन्न होकर कहा पुत्र इसके लगाने से मेरे स्वामी की रक्षा और दीर्घायु होती है वह मुझ पर सदैव प्रसन्न रहते हैं| हनुमान जी ने यह सुना तो मैं बहुत प्रसन्न हुए और विचारा कि जब उंगली भर सिंदूर लगाने से आयुष वृद्धि होती है तो फिर क्यों ना सारे शरीर से लगाकर अपने स्वामी को पूर्णत सुरक्षित कर दूं | ठीक वैसे ही किया उन्होंने| अपने सारे शरीर में सिंदूर पहुंचकर सभा में पहुंचे तो भगवान उन्हें देखकर हमसे और बहुत प्रसन्न हुए|
हनुमान को माता जानकी के वचनों और अधिक दृढ़ विश्वास हो गया| कहते हैं तभी से हनुमान जी को इस स्वामी भक्ति के स्मरण में उनके समस्त शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा| आज भी भारत के हिंदू धर्म को मानने वाले हैं और भगवान राम और हनुमान जी के भक्त हर मंगलवार और शनिवार को भगवान हनुमान जी के शरीर पर चमेली के तेल में मिलाकर लाल सिंदूर अनुमानित पर लेबल करते हैं|
हनुमान जी पर सिंदूर चढ़ाने के फायदे(hanuman sindoor benefits):
सबसे पहले हनुमान जी पर सिंदूर चढ़ाने से हर प्रकार की पीड़ा और यातना से व्यक्ति की रक्षा होती है| हनुमान जी उस व्यक्ति पर बहुत प्रसन्न होते हैं और उसकी मनोकामना को भी पूर्ण करते हैं| अगर किसी व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती शनि की ढैया लगा हुआ है तो उसे हनुमान जी प्रसन्न दूर अवश्य लगाना चाहिए | बाकी जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत लागी वैसी जो जैसा हनुमानजी से वर मांगना चाहता है उसे अवश्य ही प्राप्त होता है |
हनुमान जी पर संदूर चढ़ाने का नियम :-
दोस्तों हनुमान जी पर जब भी भक्तों सिंदूर चढ़ाएं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि वह साफ-सुथरी अवस्था में ही हनुमान जी पसंद लगाएं | स्वच्छता का पूर्णता ध्यान रखा जाए | सिंदूर लगाते समय चमड़े का बटुआ और चमड़े की बेल्ट आपने धारण ना करी हो |
एकदम साफ दिल से और राम जी का स्मरण करते करते रामनाम का जाप करते करते सिंदूर लगाना चाहिए | मंदिर के पंडित से संधू लगाने से पहले अनुमति अवश्य ले| झूठे मुंह से सिंदूर ना चढ़ाया जाए |
एक जरूरी बात जब भी हनुमान जी पर संधू चढ़ाया जाए तब उनके समक्ष बैठकर राम नाम का जप अवश्य करें और हनुमान चालीसा का भी पाठ करें और उनके समक्ष चमेली के तेल अथवा तिल के तेल का दिया प्रज्वलित करें और अपनी सामर्थ्य के अनुसार प्रसाद अवश्य चढ़ाएं | सिंदूर चढ़ाने के बाद हनुमान जी पर चोला और चांदी का वर्क भी अवश्य चढ़ाएं |