Gangotri :-> गंगोत्री अपने आप में ही आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत के रूप में मानी जाती है | गंगोत्री वेस्ट स्थान है जहां से स्वयं गंगा मैया प्रकट होती हैं चार धाम यात्राओं में एक यात्रा गंगोत्री की भी है विश्व के प्राचीन तीर्थ में गंगोत्री का नाम सबसे ऊपर की गिनती में आता है| स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णित पिंडदान के वैदिक मूर्ति का निर्माण दर्शन अक्षय तृतीया से सप्तमी तक तथा दिवाली के दिन होता है| शेष दिनों में मूर्ति पर स्वर्ण क्लेवर चढ़ा रहता है | यह दर्शन सौभाग्य से ही होता है
जानिए गंगोत्री इतनी पवित्र क्यों है
गंगोत्री से दक्षिण में गौरीकुंड में शिव कुंड पर भागीरथी का जल गिरता है जनवरी में जहां व्यक्ति से मुक्त होता है| यह स्थान समुद्र तट से 1300 फुट की ऊंचाई पर हिमालय की केदारनाथ घाटी में स्थित है भागीरथी की तपस्या चली भागीरथ शिला गंगोत्री मंदिर के पूर्व में स्थित है|
इस विशाल शीला पर श्रीगंगा मंदिर एवं अन्य मंदिर स्थित है और यहां से ही गंगाजल प्रवाहित होता है| गंगोत्री में गंगा मैया की मूर्ति स्वयं से प्रकट हुई थी गंगोत्री मंदिर के कपाट वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को वैदिक रीति से खोले जाते हैं| अथवा दिवाली के दिन यह बंद कर दिए जाते हैं कपाट बंद होने के बाद गंगोत्री मंदिर की मूर्तियों को प्राचीन मुख मठ में लाया जाता है यहां शेष दिन पूजा अर्चना की जाती है मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक कबूतरी का निरंतर उपस्थित रहना आज भी एक रहस्य की बात है