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हरि ॐ तत्सत भजन | Hari Om Tatsat Lyrics

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हरि ॐ तत्सत भजन | Hari Om Tatsat Lyrics :->यह सुंदर भजन भक्ति भावना को बढ़ाने वाला है | यह भजन भगवान के श्री चरणों के प्रति पैदा करने के लिए  है| कृपया ऐसे भजन के अपने  परिवार और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें धन्यवाद|

हरि ॐ तत्सत भजन | Hari Om Tatsat Lyrics

हरि ॐ तत्सत्
जपा कर ——4
हरि ॐ तत्सत् ——4
हरि ॐ में इतनी शक्ति भरी है, चरण के छुए से अहिल्या तरी है
पुकारा था दिल से यही नाम उसने || हरि ॐ तत्सत् ———
जो दुष्टों ने लोहे का खंभा रचा था, तो प्रहलाद निर्दोष क्योंकर बचा था
करी थी विनय एक स्वर से जो उसने || हरि ॐ तत्सत ——
सभा में खड़ी द्रोपदी रो रही थी, और रो-रो के आँसू से मुख धो रही थी
बढ़ा चीर उसमें यहीं रंग रँगा था || हरि ॐ तत्सत ——
लगी आग लंका में हलचल मची थी, तो कुटिया विभीषण की कैसे बची थी
लिखा था यही शब्द कुटिया पे उसकी || हरि ॐ तत्सत ——
जो राणा ने विष भर के प्याला दिया था, तो उस विष को अमृत किसने किया था
दीवानी भी मीरा इसी नाम की थी || हरि ॐ तत्सत ——
कहो नाथ शबरी के घर कैसे आए, जो आए तो फिर बेर जूठे क्यों खाए
जुबाँ पर यही था, हृदय में यही था || हरि ॐ तत्सत ——
हरि ओम में इतनी शक्ति भरी थी, गरुड़ छोड़ धाए न देरी करी थी
पुकारा था गज ने यही नाम दिल से || हरि ॐ तत्सत ——
जपा कर ——4, हरि ॐ तत्सत् ——4

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