एक दिन वो भोले भंडारी, बन कर के ब्रिज की नारी, गोकुल में आ गये है
पारवती भी मना कर हारी, ना माने त्रिपुरारी, गोकुल में आ गये है
पारवती से बोले मैं भी चालु गा तेरे संग में,
राधा संग श्याम नाचे मैं भी नाचूगा तेरे संग में,
रास रचे गा ब्रिज में भारी, हमें दिखो प्यारी ,
गोकुल में आ गये है………
एक दिन वो भोले भंडारी, बन कर के ब्रिज की नारी, गोकुल में आ गये है….
ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाओ तोहे साथ में,
मोहन के सिवा वहा, कोई पुरस ना जाये रास में,
हँसी करेंगी ब्रिज की नारी मान लो बात हमारी,
गोकुल में आ गये है………..
एक दिन वो भोले भंडारी, बन कर के ब्रिज की नारी, गोकुल में आ गये है….
ऐसा बनादो मुझे को कोई न जाने इस राज को,
मैं हु सहेली तेरी इसा बताना ब्रिज राज को,
बना के जुड़ा पेहन के साड़ी चाल चले मत वाली,
एक दिन वो भोले भंडारी, बन कर के ब्रिज की नारी, गोकुल में आ गये है….