चाँद चढ्यो गिगनार | Chand Chadhyo Gignaar Lyrics :->यहां सभी दर्शकों के लिए एक और लोकप्रिय राजस्थानी रोमांटिक लोकगीत चढ़यो गिगनार (चांद चढ्यो गिगनार) है। साझा करते रहें और समर्थन करते रहें।
चाँद चढ्यो गिगनार | Chand Chadhyo Gignaar Lyrics
चाँद चढ्यो गिगनार किरत्या
धळ आई आधी रात
पीव जी
अब तो घरा पधारो
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे।
हाथ्यां मेहंदी राचणी कोई नैना सुरमो सार्यो जी
ले दीवलों चढ़ गई चौबारे मरवड़ सेज सँवारे जी
बैठी मनड़ो मार गौरी रा
आया नहीं भरतार
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे।
चाँद चढ्यो गिगनार किरत्या
धळ आई आधी रात पीव जी
अब तो घरा पधारो
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे।
ज्यूँ ज्यूँ तैल बळे दिवले में
भर बाती सरकावे रे
नहीं आयो मद चखियो बालम
दिवलो नाड़ हिलावे रे
दिवलो स्यूं झुंझलाए गोरी
दिवलो दियो बुझाय
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे
चाँद चढ्यो गिगनार किरत्या
धळ आई आधी रात पीव जी
अब तो घरा पधारो
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे।
सिसक सिसक कर गौरी रोवे
तकिया काळा करिया जी
उगते सूरज प्रीतम आया
हाथ मोर पर धरिया जी
कठे बिताई सारी रात
देखो उग आयो प्रभात
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे
चाँद चढ्यो गिगनार किरत्या
धळ आई आधी रात पीव जी
अब तो घरा पधारो
मारूड़ी थारी बिलखे छै जी बिलखे छे।
चंदो गयो सिधार देखो
उग आयो परभात
म्हारा घर आया भरतार
मनड़ो मुळके छे जी मुलाके छै||