भक्त भोले की कहानी | Bhakt Bhola ki Kahani–>एक गांव में भोला नाम का आदमी रहता था | अपने नाम के तरह वह भोला था न तो वह चलाकी करता था |और न उसको किसी की चलाकी समझ पाता था | हर एक काम को वह बहुत सधारण तरीके से करता था | सम्पूर्ण कथा आगे पढ़ते है |
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भक्त भोले की कहानी |Bhakt Bhola ki Kahani
1.भोला भगवान का भक्त|:-
भोला भगवान को माने वाला था |वह जंगल में लकडिया काट कर गुजर बसर किया करता था | लेकिन वह गरीब व बहुत था | और वह झोपडी में वह अकेला ही रहता था| वहन सप्ताह में एक वॉर मंदिर जाया करता था | एक दिन उसने देखा की भगवान की मूर्ति के सामने बहुत दीपक अथवा अगरवती जल रहे है |जिसके कारन हर तरफ धुआ धुआ होगया था|
उसे देख भोला भक्त सोचना लगा की भगवान यह तोह बहुत यादती है की प्रभु आपकी आंखे जल रही होंगी | साँस व घुट रही होगी| साँस व घुट रही होगी| आप ऐसा करो प्रभु आज आप मेरा घर चलो | आज लकड़ी वेच कर अगर प्राप्त धन मिल गया तो उससे हम दोनों का खाने का परबंद हो जायेगा|
उसके भोलेपन और साफ़ हिर्दय को देखकर प्रभु उसके सामने साक्षात् प्रगट होगये और बोलै ठीक तुम जहकर भोजन बनाओ जब बन जाये मुझे बुला लेना | में यह जाऊगा | इसके बाद वह खुसी ख़ुशी घर गया |
2.भोले भक्त की परीक्शा:-
फिर भोला भक्त खुसी ख़ुशी घर गया |भोजन की तैयारी करने लगा जैसे हे भोजन की तैयारी हो गई उसी वक़्त वह मंदिर की तरफ भगवान को बुलाने के लिया चल पढ़ा |
थोड़ी दूर हे गया था उसी रस्ते में एक बालक मिला वह बोला मुझे बहुत भूक लगी है | फिर क्या भोले भक्त को उसपे दया यह आगई और वह उसे अपने साथ अपने घर ले गया और बदेह प्रेम से उसने उसे भोजन करवाया |
भोजन करवाने के बाद वह फिर से मंदिर की तरफ चल पदह रास्ते में उसे एक बुढ़िया मिल गई | और बोली में बहुत दिन से भुकी हु अगर कुछ खाने को मिल जाता तुम्हारा भला हो जायेगा वह फिर उसे अपने साथ घर लेगया और उसे भोजन खिलवाया और आशीर्वाद प्राप्त किया |
अब भोले का घर का राशन ख़त्म होगया | तो वह लाला की दुकान पर राशन लेने गया जैसे ही उसने अपना सारा विरत्यन्त लाला को बिताया तोह वह उस पर हसने लगा की भगवान व कभी कैसे घर खाना खाने आते है |
भोले भक्त बहुत मजाक उदाहने के बाद उसने कुछ काम अपने दुकान पेय करवाए और उसके बदले राशन उसको भोले को दे दिया |राशन लेने के बाद घर में खाने की तैयारी करने लगा जैसे ही तैयारी होगए
वह फिर मंदिर तरफ चल पड़ा रस्ते में फिर एक बूढ़ा आदमी भूका पैसा बैठा था फिर वह तीसरी बार उसको व् घर लेगया और उसको बहुत प्रेम से भोजन खिलाया |
कुछ राशन शेष बचा था वह फिर चला भगवान को बुलाने और आखिर मंदिर पोहंचा और भगवान को न्यौता दिया और बोला की भगवान चलो घर में खाना तैयार है चलो मेरे साथ प्रभु | उससे देख प्रभु बोले की भोले में तो भोजन तीन बार पाह चूका हु |
भोला भक्त बोला की हे भगवान की अपको तो मैंने खाना खिलाया नई | में तो मंदिर अब हे आया हु |भगवान बोलै की जोह एक बचे,बूढी माता और वह बूढ़े व्यक्ति को जो तुमने खाना खिलाया वह असल में मुझे हे तो खिलाया है और अब मेरा पेट भर गया |
3.जब भगवान भक्त के साथ चल पड़े :-
भगवान ने उसे बहुत समझाया पर लेकिन वह भोला भक्त समझ नहीं पाया | भगवान उसका दिल रखने के लिया उसके साथ चल पड़े | घर पहुंचने की बाद भगवान बोलै चलो में एक शर्त पर खाना खाऊंगा|
भगवान ने उसे बहुत समझाया पर लेकिन वह भोला भक्त समझ नहीं पाया | भगवान उसका दिल रखने के लिया उसके साथ चल पड़े | घर पहुंचने की बाद भगवान बोलै चलो में एक शर्त पर खाना खाऊंगा भोला भक्त बोलै बोलो प्रभु कोनसी शर्त | तुम्हे व मेरा साथ खाना पड़ेगा तो फिर भोला भक्त और प्रभु एक ही थाली में खाने लगे |
जैसे ही प्रभु खाना खा कर गए हे थे वैसे ही भोला के दिन बदल गये| वह धन धान्य ऐ भरपूर होगया उसके पास किसी चीज़ की कमी नहीं रही प्रभु की असीम कृपा बरसने लगी||
4.फिर लाला का भगवान न्योता(भक्त भोले की कहानी | Bhakt Bhola ki Kahani):
यह सब देख वह लाला जोह उस पर हस रहा था | वह व् यह सब देख हैरान होगया और और लाला मंदिर जहकर भगवन को न्योता देने लगा की प्रभु मेरे घर आयो और खाना पायो| प्रभु उसे बोलै की तुम घर जाकर प्रबंध करो और जब बन जाये मुझे बुला लेना |
लाला हस्ता हस्ता घर गया और अपने नौकरो से बोला की मंडप की तैयारी करो और 36 प्रकार के बढ़िया भोजन बनवाये |और उसके मन में थोड़ा सा अभिमान व् आगया था मैंने तोह भोला से अचे पकवान बनाये भगवन मुझ पर ज्यादा पर्सन होगये |
यह मन में सोच के घर से भगवान को बुलाने के लिया चला हे थ की रस्ते में वही बचा,बूढी औरत और बूढ़ा आदमी मिले उन सभी नेह उस खाना माँगा और बोले की हम भूखे है लाला ने अभिमान के चक्र में सब को ठुकरा दिया |
और आखिर मंदिर जा पहुंचा भगवान को बोलने लगा की प्रभु चलो खाना तयार है प्रभु उसे तब बोले की
पहला तुमने हमारा तीन बार त्रिस्कार किया और अब खाने के लिया पूछ रहे हो वह बचा,बूढी औरत और बूढ़ा आदमी में हे तो था जिसे तुमने दूरकार दिया था | फिर क्या वह लाला निराष होगया और भगवान मूर्ति में फिर समा गए |
निष्कर्ष:-
इस पूरी कहानी देख कर हमे यह पता चलता है कभी व् अभिमान व्यक्त होकर किसी को टुकराना नहीं चाहिए |जैसे की रहिमन जी व कह गए की “रहिमन इस संसार में सब से मिलये धयऐ ,नाह जाने किस रूप में नारायण मिल जाये “. और जीवन में सरलता से हे भगवान की प्राप्ति हो सकती है जैसे धना भक्त ,भोला भक्त की तरह | तो इस लिया हम सबको सरलता और सधाहरन जीवन व्यक्त करना चाहिए और प्रभु का सिमरन करना चाहिए |वैसे व् जो व्यक्ति गुण अथवा विचारों वाला होता ज्यादा तर भगवन उससे हे प्राप्त होते है |