चदरिया झीनी रे झीनी | Chadariya Jhini Re Jhini Lyrics :->गीत है चदरिया झीनी रे जिसे भारत के महान सूफी संत संत कबीर दास ने लिखा है।
चदरिया झीनी रे झीनी | Chadariya Jhini Re Jhini Lyrics
कबीरा जब हम पैदा हुएजग हँसे हम रोये
ऐसी करनी कर चलो*
हम हँसेजग रोये
चदरिया झीनी रे झीनी
राम नाम रस भीनी
चदरिया झीनी रे झीनी
अष्ट-कमल का चरखा बनाया*
पांच तत्व की पूनी ।
नौ-दस मास बुनन को लागे*
मूरख मैली किन्ही*
चदरिया झीनी रे झीनी…
जब मोरी चादर बन घर आई*
रंगरेज को दीन्हि*
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने*
के लालो लाल कर दीन्हि*
चदरिया झीनी रे झीनी…
चादर ओढ़ शंका मत करियो*
ये दो दिन तुमको दीन्हि*
मूरख लोग भेद नहीं जाने*
दिन-दिन मैली कीन्हि*
चदरिया झीनी रे झीनी…
ध्रुव प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी चदरिया*
शुकदे में निर्मल कीन्हि ।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी*
ज्यूँ की त्यूं धर दीन्हि*
के राम नाम रस भीनी*
चदरिया झीनी रे झीनी*