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हनुमान चालीसा कहाँ लिखी | Where was hanuman chalisa written

Where was hanuman chalisa written

हनुमान चालीसा कहाँ लिखी गई थी? | Where was hanuman chalisa written :-> हिंदी में लिखी गई हनुमान चालीसा, 16वीं सदी के भारतीय कवि-संत तुलसीदास द्वारा रचित एक भक्ति भजन है। भगवान हनुमान को समर्पित 40 छंदों (चालीसा) से युक्त यह पवित्र पाठ, हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। हनुमान चालीसा की रचना एक दिलचस्प कहानी है, और इसकी उत्पत्ति भारत के उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में देखी जा सकती है।

हनुमान चालीसा कहाँ लिखी गई थी? | Where was hanuman chalisa written

प्रसिद्ध कवि-संत तुलसीदास का जन्म वर्ष 1532 में वर्तमान भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव राजापुर में हुआ था। हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान राम के प्रति उनकी गहरी भक्ति ने उन्हें कई भक्ति रचनाएँ लिखने के लिए प्रेरित किया, जिनमें से हनुमान चालीसा सबसे प्रमुख में से एक है।

हनुमान चालीसा की रचना के पीछे की कहानी इस भजन की तरह ही दिलचस्प है। तुलसीदास भगवान राम के एक भक्त थे, और उन्हें भगवान हनुमान की शक्ति में अटूट विश्वास था, जिन्हें भक्ति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। तुलसीदास का मानना था कि भगवान हनुमान के नाम का जाप करने से व्यक्ति भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और जीवन की चुनौतियों से पार पा सकता है।

एक दिन, जब तुलसीदास वाराणसी में भगवान राम का ध्यान करने के लिए बैठे, तो उन्हें दिव्य प्रेरणा मिली। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान स्वयं रहस्यमय रूप में तुलसीदास के सामने प्रकट हुए थे। भक्ति और विनम्रता से भरे हुए, तुलसीदास ने भगवान हनुमान से एक भजन लिखने के लिए आशीर्वाद मांगा जो हनुमान की महानता को समाहित करेगा और भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करेगा। तुलसीदास की प्रार्थना के जवाब में, भगवान हनुमान ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया और उन्हें अपने गौरवशाली रूप को देखने के लिए दिव्य दृष्टि भी प्रदान की।

इस दिव्य दृष्टि और प्रेरणा से, तुलसीदास ने वाराणसी शहर में हिंदी की एक बोली, अवधी भाषा में हनुमान चालीसा की रचना शुरू की। हनुमान चालीसा में 40 छंद या चौपाइयां हैं, और प्रत्येक छंद भगवान हनुमान के गुणों और गुणों का गुणगान करने के लिए समर्पित है। तुलसीदास के दोहे हनुमान की अद्वितीय शक्ति, अटूट भक्ति और भगवान राम के प्रति असीम प्रेम का खूबसूरती से वर्णन करते हैं।

जैसे ही तुलसीदास ने प्रत्येक कविता लिखी, उन्होंने भगवान हनुमान के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हुए, अपना दिल और आत्मा उसमें डाल दी। हनुमान चालीसा सिर्फ एक भजन नहीं है; यह एक हार्दिक प्रार्थना है, शक्ति का स्रोत है, और परमात्मा से जुड़ने का एक साधन है।

सदियों से, हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजनीय और पढ़े जाने वाले भजनों में से एक बन गया है। इसका पाठ दुनिया भर में लाखों भक्तों द्वारा किया जाता है, दैनिक पूजा के रूप में और विशेष अवसरों के दौरान। माना जाता है कि चालीसा के छंदों में बुराई को दूर करने, सुरक्षा प्रदान करने और संकट में पड़े लोगों को सांत्वना देने की शक्ति होती है।

अंत में, तुलसीदास द्वारा हिंदी में लिखी गई हनुमान चालीसा एक गहन भक्ति भजन है जो भगवान हनुमान की महानता का जश्न मनाता है। इसकी रचना भारत के उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर वाराणसी में की गई थी, और तब से यह हिंदू धार्मिक प्रथाओं का एक अभिन्न अंग बन गया है, जो अनगिनत व्यक्तियों को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं के लिए प्रेरित करता है।

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