पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम, कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम। पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम, कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम। कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम। गुरुवर मतंग जी, रन ले राम रंग में, बालिका से प्रीत भई ली, ओहि रे तरंग में, नाम रूप अरु लीला धाम के, नाम रूप अरु लीला धाम के, सुमिरन आठों याम, कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम। अधम से अधम, अधम अति नारी, उत चक्र व्रती के, कुमार धनुर्धारी, चीखी चीखी बैर के राखव, आईहेही भोग के काम, कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम। माड़ो से भागल, अनुरागी संजागल, शबरी शिकारी भइनी, भक्ति में पाग़ल, उहे डगर तू धरहो राजन, पइबा परम विश्राम, कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम। Source-https://bhajansimran.com/kahiyo-darshan-dinhe-ho/