मीराबाई पदावली | Meera bai Pdawali :- उन्होंने सोलवीं सदी में नारी स्वतंत्रता का बिगुल भी बजा दिया था। उन्हें नारी विमर्श की महान क्रांतिकारी कवित्री के रूप में देखा जा सकता है।
मीराबाई पदावली | Meera bai Pdawali
बसो मेरे नैनन में नंदलाल।
मोहिनी मूर्ति सावरी सुरती नैना बने विसाल।
मोर मुकुट मकरा करत कुंडल अरुण तिलक दिए बाला।
अधर सुधारक मुरली राजति उर बैजंती माला
शूद्र घंटे का कटि तट सोभित नूपुर शब्द रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई भक्त बछल गोपाल।
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
तापमात्र रात बंधु आपने ना कोई।
साड़ी दही कुल की कहानी कहा करे कोई।
संतन डिग बैठी बैठी लोकल आज कोई।
अंशुमन जल सीजी सीजी प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेली फैल गई आनंद फल हुई।
भक्त देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोदी।