महा शिवरात्रि 2022 | Maha Shivaratri 2022 :->साल में कुल 12 या 13 शिवरात्रि बनाई जाती हैं। प्रत्येक माह की कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की उनके भक्तों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार से पूजा की जाती है।
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महा शिवरात्रि 2022 | Maha Shivaratri 2022
भगवान भोलेनाथ यानी शिवजी की पूजा प्रत्येक वर्ग में की जाती है। ग्रस्त गिरी सन्यासी। नात। सिद्ध। तांत्रिक। और अन्य द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है। पूरे विश्व में शिव भक्तों की गिनती सबसे ज्यादा गिनी जाती है।
किस तारीख को है महाशिवरात्रि 2022 में:-
मंगलवार 1 मार्च 2022 को भगवान शिव की महाशिवरात्रि जोश बड़ी शिवरात्रि के नाम से भी जानी जाती है मनाई जाएगी।
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि? :-
इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की शादी हुई थी। इसलिए भक्तगण महाशिवरात्रि को गौरी शंकर की शादी की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। इस दिन ऋतु परिवर्तन का भी आरंभ हो जाता है और अन्य प्राकृतिक शक्तियों का भी आवागमन होता है। यह योगी जनों के और साधकों का सबसे अच्छा दिन माना जाता है यानी भक्तजन बड़े आराम से इस दिन सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
भगवान शिव के भक्त इस दिन पूरी रात जाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं सत्संग कीर्तन करते हैं और भगवान शिव की स्तुति गाते हैं|
महाशिवरात्रि का महत्व :-
भगवान शिव की पूजा इस दिन बहुत धूमधाम से की जाती है भक्त अनेक और तरह-तरह के प्रकार से भगवान शिव की पूजा करते हैं। भगवान शिव से मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।
कैसे की जाती है महा शिवरात्रि वाले दिन शिव जी की पूजा (महा शिवरात्रि 2022 | Maha Shivaratri 2022):-
भगवान शिव को भोले के नाम से भी जाना जाता है यानी भोलेनाथ भगवान शिव की पूजा का कोई एक ढंग नहीं निर्धारित किया जा सकता। क्योंकि कोई नहीं जानता भगवान शिव का अपने भक्तों के किस बात से प्रसन्न हो जाए? लेकिन फिर भी भगवान शिव के भक्त भगवान शिव को रिझाने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करते हैं।
- कोई भक्त भगवान शिव को बेलपत्र भांग धतूरा चढ़ाते हैं।
- कुछ भक्त जैन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं।
- कुछ भक्त भगवान शिव को पंचामृत चढ़ाते हैं।
- कुछ लोग भगवान शिव की भस्म से आरती करते हैं।
कहने का तात्पर्य है कि भगवान शिव की पूजा का कोई भी ढंग निर्धारित नहीं कर सकते। मेरा खुद का मानना है कि भगवान शिव के भक्तों का अगर हृदय सरल और सादगी से भरा हो जिसमें कोई छल कपट ना हो और वह श्रद्धा से भरपूर हो वह भगवान शिव को अगर तिल मात्र भी अर्पण करेगा तो भगवान शिव की विशेष कृपा का पात्र बनेगा।
महाशिवरात्रि पूजन विधि :-
भगवान शिव के भक्त को महाशिवरात्रि वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले उठना चाहिए फिर स्नानादि योग एवं करने के बाद निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान शिव के भक्तों को हृदय में ओम नमः शिवाय जय शिव शिव का जाप करना चाहिए प्रत्येक समय।
ध्यान दे:
- आसन साफ सुथरा होना चाहिए।
- बैठकर जल का आचमन ले।
- जनेऊ धारण करके शरीर को शुद्ध करें।
- आसन की शुद्धि करें।
- जल की गढ़वी भरकर अपने आगे रखें।
- धूप और दीप प्रज्वलित करके पूजन की तैयारियां करें।
- दीप प्रज्वलित हो जाए उसके बाद अपने पूजन करना आरंभ करें।
- पूजन आरंभ करने से पहले भगवान शिव के गणों को अवश्य याद करें यानी नंदीश्वर भी भद्र कार्तिकेय और सर्व। सबसे पहले इस वक्त स्वकीमुख जी को याद करना अनिवार्य है
- फिर भोलेनाथ पर जल अभिषेक पंचामृत से किया जाए। पंचामृत में दूध ,दही ,घी, शहद और शक्कर का मिश्रण होता है। और अपनी इच्छा अनुसार रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं।
- फिर भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाने चाहिए उन बेलपत्र क्यों पर आप अपनी इच्छा के अनुसार राम-राम भी लिख सकते और ओम नमः शिवाय भी लिख सकते हैं इसे लिखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
- फिर भगवान शिव पर भांग धतूरा आंख धतूरे का फूल एवं अन्य चीजों को चढ़ाया जाता है।बाद में शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
- भोलेनाथ को बाद में वस्त्र अर्पित करें और जनेऊ चढ़ाएं साथ ही अक्षत फूल माला भी चढ़ाएं।
- फिर भोलेनाथ को भिन्न भिन्न प्रकार के फल अर्पित करें अपनी इच्छा मन में बता कर।
- फिर कुछ दक्षिणा के रूप में आ भगवान शिव के चरणों में अर्पण करें।
- संपूर्ण पूजा होने के बाद तीन बार ओम कहकर गायन करें
- माना जाता है पूजा में जो भी त्रुटियां हुई है वह तीन बार ओम का उच्चारण करने के बाद उनसे क्षमा मिलती है। और हाथ जोड़कर भगवान शिव से यह प्रार्थना करें कि हे भगवान आपकी कृपा से ही मैं यह पूजा करने में समर्थ हुआ हूं अगर। मुझ अज्ञानी से किसी प्रकार की भूल अपराध दोष गलती हुई है तो मुझे अपना बच्चा समझ कर माफ करें और यह पूजा स्वीकार करें।
अगर आप इस प्रकार भगवान शिव की पूजा करेंगे तो आप अवश्य ही भगवान की कृपा के पात्र होंगे।
महाशिवरात्रि की व्रत कथा :-
एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन ऋण समय पर न चुका सकने पर क्रोधित साहूकार ने उसको शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।
बंदी रहते हुए शिकारी मठ में शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा, वहीं उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होने पर साहूकार ने उसे बुलाया और ऋण चुकाने के लिए पूछा तो शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन दिया। साहुकार ने उसकी बात मान ली और उसे छोड़ दिया। शिकारी जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था।
सूर्यास्त होने पर वह एक जलाशय के समीप गया और वहां एक घाट के किनारे एक पेड़ पर थोड़ा सा जल पीने के लिए लेकर, चढ़ गया क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए यहाँ ज़रूर आयेगा। वह पेड़ बेल-पत्र का था और उसी पेड़ के नीचे शिवलिंग भी था जो सूखे बेलपत्रों से ढके होने के कारण दिखाई नहीं दे रहा था। शिकारी को उसका पता न चला। भूख और प्यास से थका वो उसी मचान पर बैठ गया।
सूर्यास्त होने पर वह एक जलाशय के समीप गया और वहां एक घाट के किनारे एक पेड़ पर थोड़ा सा जल पीने के लिए लेकर, चढ़ गया क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए यहाँ ज़रूर आयेगा। वह पेड़ बेल-पत्र का था और उसी पेड़ के नीचे शिवलिंग भी था जो सूखे बेलपत्रों से ढके होने के कारण दिखाई नहीं दे रहा था। शिकारी को उसका पता न चला। भूख और प्यास से थका वो उसी मचान पर बैठ गया।
एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची उसके हाथ के धक्के से कुछ पत्ते एवं जल की कुछ बूंदे नीचे बने शिवलिंग पर गिरीं और अनजाने में ही शिकारी की पहले प्रहर की पूजा हो गयी।
मृगी बोली, मैं गर्भिणी हूं शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना। शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।
कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। कुछ बेलपत्र नीचे शिवलिंग पर जा गिरे और अनायास ही शिकारी की दूसरे प्रहर की पूजा भी हो गयी।
तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, कि मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी। शिकारी ने उसे भी जाने दिया।
दो बार शिकार को खोकर वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी धनुष पर तीर चढ़ा कर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।
शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी इनकी फिक्र है इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। मेरा विश्वास करो, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं। मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया।
शिकार के अभाव में बेल-वृक्षपर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। उसकी तीसरे प्रहर की पूजा भी स्वतः ही संपन्न हो गयी।
पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृगविनीत स्वर में बोला, भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।
मृग की बात सुन कर शिकारी ने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, वे मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।
उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। उसके हाथ से धनुष तथा बाण छूट गया और उसने मृग को जाने दिया। थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया।
देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। उसके ऐसा करने पर भगवान् शंकर ने प्रसन्न हो कर तत्काल उसे अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन करवाया तथा उसे सुख-समृद्धि का वरदान देकर गुह नाम प्रदान किया। यही वह गुह था जिसके साथ भगवान् श्री राम ने मित्रता की थी।
महा शिवरात्रि 2022 | Maha Shivaratri 2022
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये :-
भोले के लीना में मुझे डूब जाने दो,
शिव के चरणों में शीश झुकाने दो,
आई है शिवरात्रि मेरे भोले बाबा का दिन,
आज के दिन मुझे भोले के गीत गाने दो.
जब भी मैं अपने बुरे हालातो से घबराता हूँ
तब मेरे महादेव की आवाज आती है की रुक मैं अभी आता हूँ
शिव की महिमा अपरं पार;
शिव करते सबका उद्धार;
उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे;
और आपके जीवन में आयें खुशियाँ हज़ार।
बम भोले डमरू वाले शिव का प्यारा नाम है
भक्तो पे दर्श दिखता हरी का प्यारा नाम है
शिव जी की जिसने दिल से है की पूजा
शंकर भगवान ने उसका सवारा काम है!
हेप्पी शिवरात्रि!
बम भोले डमरू वाले शिव का प्यारा नाम हैं
भक्तो पे दर्श दिखाता हरी का प्यारा नाम हैं
शिव शम्भू की जिसने दिल से हैं की पूजा
शंकर भगवान ने उसका संवारा काम हैं|
भोले बाबा का आशीर्वाद मिले आपको,
उनकी दुआ का प्रसाद मिले आपको,
आप करे अपनी जिन्दगी में खूब तरक्की,
और हर किसी का प्यार मिले आपको.
जय भोले शिव शंकर बाबा की जय.
विश पीने का आदि मेरा भोला है
नागों की माला और बाघों का चोला है
भूतों की बस्ती का पीछे टोला है
मस्ती में डुबा डुबा वो मेरा भोला है
जय भोलेनाथ
हाथों की लकीरें अधूरी हो तो किस्मत अच्छी नहीं होती
हम कहते है की शिर पर हाथ महादेव का हो
तो लकीरों की ज़रूरत नहीं होती
हर-हर-महादेव
शिव की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलो को सुरूर मिलता हैं,
जो भी जाता है भोले के द्वार,
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता हैं.
यह कलयुग है यहाँ ताज अच्छाई को नही बुराई को मिलता है
लेकिन हम तो बाबा महाकाल के दीवाने है ताज के नही रुद्राक्ष के दीवाने है
खुशबु आ रही है कहीँ से गांजे और भांग की !!! शायद खिड़की खुली रह गयी है ‘ मेरे महांकाल’ के दरबार की…!!…’ हर हर महादेव ‘… जो अमृत पीते हैं उन्हें देव कहते हैं,
और जो विष पीते हैं उन्हें देवों के देव “महादेव” कहते हैं … !!!
ॐ नमः शिवाय
हम महाकाल के चीते है
अरे हम तो महाकाल के चीते है…
इसीलिए तो बेफिक्र जीते है
जय महाकाल
कौन कहता है भारत में FOGG चल रहा है ?
यहाँ तो सिर्फ महाकाल के भक्तो का खौफ चल रहा है
इतणी मटक कै ना चाल्लै हाम नजर लगा देगे
भौले के भगत सै गदर मचा देगे
तेरी चौखट पर सर रख दिया है भार मेरा उठाना पड़ेगा
मैं भला हुँ बुरा हूँ मेरे महाकाल मुझको अपना बनाना पड़ेगा
जय महाकाल
6 रुपये का चिलम
2 रूपये का दाना
300 के गांजे मे
मेरा भोला दीवाना
जय महाकाल
चिलम के धुंए में हम खोते चले गये
बाबा होश में थे और मदहोश होते चले गये
जाने क्या बात है महादेव के नाम में
न चाहते हुये भी उनके होते चले गये|
महाशिवरात्रि फोटो डाउनलोड :-










महा शिवरात्रि 2022 | Maha Shivaratri 2022
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